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मोबाईल

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वाह रे मोबाईल ...     मैं शायद अब बूढ़ा हो गया हूॅ । घर में किसी को मेरी जरूरत ही नही ऐसा लगता है । सावित्री के जाने के बाद,  ना जाने क्यों अब दिन तो काटने को दौड़ता है, वो थी तो दिन भर मेरी ...

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लेखक के बारे में
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Indrasen Agrawal
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sanjay Agrawal
    11 நவம்பர் 2019
    वर्तमान की कड़वी सच्चाई है। रिश्तो की कद्र नही और सोशल मीडिया में रिश्ते तलाशते है लोग
  • author
    Shweta88888ū87 Bhatia
    07 ஆகஸ்ட் 2020
    Omgggggg. aaj ka satya darshaati bahut hi achhi rachna.
  • author
    Sudhir Kumar Singh
    11 டிசம்பர் 2021
    दिखावा के सिवा अब कुछ भी नही रहा 👌👌👌
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  • author
    Sanjay Agrawal
    11 நவம்பர் 2019
    वर्तमान की कड़वी सच्चाई है। रिश्तो की कद्र नही और सोशल मीडिया में रिश्ते तलाशते है लोग
  • author
    Shweta88888ū87 Bhatia
    07 ஆகஸ்ட் 2020
    Omgggggg. aaj ka satya darshaati bahut hi achhi rachna.
  • author
    Sudhir Kumar Singh
    11 டிசம்பர் 2021
    दिखावा के सिवा अब कुछ भी नही रहा 👌👌👌