वाह रे मोबाईल ... मैं शायद अब बूढ़ा हो गया हूॅ । घर में किसी को मेरी जरूरत ही नही ऐसा लगता है । सावित्री के जाने के बाद, ना जाने क्यों अब दिन तो काटने को दौड़ता है, वो थी तो दिन भर मेरी ...
वाह रे मोबाईल ... मैं शायद अब बूढ़ा हो गया हूॅ । घर में किसी को मेरी जरूरत ही नही ऐसा लगता है । सावित्री के जाने के बाद, ना जाने क्यों अब दिन तो काटने को दौड़ता है, वो थी तो दिन भर मेरी ...