नन्ही नन्ही बारिश की बूंदे मोती बनकर, धीरे धीरे गिरने लगी आज धरा में, तपती धरा ने इन बूंदों की धात्री बनकर, इत्रो की सुगंध भी जिसके सम्मुख अधूरी है, मिट्टी की ऐसी सुगंध बिखेरी है। बारिश की बूंदों ...
नन्ही नन्ही बूंदें मोती बनकर गिरने लगी बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत खूबसूरत लिखा है आपने मैम 👌👌👌👌👌👌👌👌❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
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वाह बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,भास्कर की गर्मी से लाचार धरती पर पहली बारिश की पड़ती बूंदों से जो सोंधी सी खुशबू मिट्टी की आती है,वास्तव में इत्र भी इसके सामने फीका पड़ जाता है।
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