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मेरी वसीयत

4.8
128

उम्र सारी लगा दी इस देह को बनाने में.. कितनी मशक्कतें की है इसको सजाने में, आखिरी पड़ाव उम्र का आने को है अब कि, वसीयत मैं भी अपनी ये अभी से कर दूं कि.. इस खजाने को जो मैंने संभाला है उम्र  दराज़.. आ ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    kumar gupta
    24 नवम्बर 2018
    मेरे लिए आज तक की सबसे बेहतरीन रचना । आपका धन्यवाद ✍️👌🌹🌷
  • author
    25 नवम्बर 2018
    दिल से लिखी हुई रचना keep it up 💐
  • author
    Awadhesh kumar Shailaj "शैलज"
    24 नवम्बर 2018
    वेहतरीन भावाभिव्यक्ति सम्पन्न रचना
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    kumar gupta
    24 नवम्बर 2018
    मेरे लिए आज तक की सबसे बेहतरीन रचना । आपका धन्यवाद ✍️👌🌹🌷
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    25 नवम्बर 2018
    दिल से लिखी हुई रचना keep it up 💐
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    Awadhesh kumar Shailaj "शैलज"
    24 नवम्बर 2018
    वेहतरीन भावाभिव्यक्ति सम्पन्न रचना