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मेरी तस्वीर आधी रह गई है

4.3
749

चल, तुझे फिर लिखती हूँ....फिर से यानी? क्या पहले लिखा था? और अगर लिखा था तो उसका क्या हुआ? जरा सा लिखा तो था.... कभी एक वाक्य, कभी एक कॉमा, कभी डेश के निशान की तरह.... न लिख सकने की लाचारी में कभी बस ...

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लेखक के बारे में
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जया जदवानी

जन्म – 1 मई १९५९ को कोतमा ,जिला –शहडोल [मध्यप्रदेश ] शिक्षा – एम. ए. हिंदी और मनोविज्ञान रुचियां – जीवन के रहस्यों और दुर्लभ पुस्तकों का अध्ययन ....यायावरी ,दर्शन और मनोविज्ञान में विशेष रूचि ...... कृतियाँ :- कविता संग्रह : मैं शब्द हूँ अनंत संभावनाओं के बाद भी उठाता है कोई एक मुठ्ठी ऐश्वर्य कहानी संग्रह : 1 : मुझे ही होना है बार –बार 2 : अन्दर के पानियों में कोई सपना कांपता है 3 : उससे पूछो 4 : मैं अपनी मिट्टी में खडी हूँ कांधे पे अपना हल लिये 5 : समन्दर में सूखती नदी [ प्रतिनिधि कहानी संग्रह ] 6 : बर्फ़ जा गुल [ सिन्धी कहानी संग्रह ] 7 : खामोशियों के देश में [ सिन्धी कहानी संग्रह ] 8 : ये कथाएं सुनाई जाती रहेंगी हमारे बाद भी [प्रतिनिधि कहानी संग्रह] उपन्यास : 1: तत्वमसि 2: कुछ न कुछ छूट जाता है 3 : मिठो पाणी खारो पाणी [ सिन्धी में भी प्रकाशित ] अन्य : ‘’अन्दर के पानियों में कोई सपना कांपता है ‘’पर ‘इंडियन क्लासिकल’ के अंतर्गत एक टेलीफिल्म का निर्माण अनेक रचनाओं का अंग्रेजी ,उर्दू ,पंजाबी ,उड़िया ,सिन्धी ,मराठी ,बंगाली भाषाओँ में अनुवाद... एक कविता सी.बी.एस.सी ८ में चयनित ‘’इतना कठिन समय नहीं ‘’ हिमालय की यात्रायें .... लद्दाख पर यात्रा वृतान्त......... मुक्तिबोध सम्मान...... कहानियों पर गोल्ड मैडल .......

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 अक्टूबर 2018
    मैम, कहानी एकदम मख़मली रेशम-सी है। नाजुक। लेकिन मैम, आजकल अमृता प्रीतम को पढ़ने वाले बहुत कम हैं। खासकर इस सोशल मीडियायी युग में। कमलेश्वर, कन्हैयालाल नंदन, राजेन्द्र यादव, रवीन्द्र कालिया का युग समाप्त हो गया।
  • author
    Rajendra Singh Gahlot
    02 अक्टूबर 2018
    अतीत की स्म्रृतियों मे आत्ममंथन मे कहानी कहना मुझे उबाऊ लगता है उसकी पठनीयता और रोचकता प्रभावित होती है यह मेरी व्यक्तिगत राय जया जी की इस कहानी के बाबद है
  • author
    Ashish Bharti
    12 जून 2019
    मैम,कहानी में काव्यात्मकता है एक पाठक के तौर पर मुझे हमेशा से बेहद प्रभावित करती रही है। अच्छी कहानी के लिए लेखिका को साधुवाद!!
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    29 अक्टूबर 2018
    मैम, कहानी एकदम मख़मली रेशम-सी है। नाजुक। लेकिन मैम, आजकल अमृता प्रीतम को पढ़ने वाले बहुत कम हैं। खासकर इस सोशल मीडियायी युग में। कमलेश्वर, कन्हैयालाल नंदन, राजेन्द्र यादव, रवीन्द्र कालिया का युग समाप्त हो गया।
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    Rajendra Singh Gahlot
    02 अक्टूबर 2018
    अतीत की स्म्रृतियों मे आत्ममंथन मे कहानी कहना मुझे उबाऊ लगता है उसकी पठनीयता और रोचकता प्रभावित होती है यह मेरी व्यक्तिगत राय जया जी की इस कहानी के बाबद है
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    Ashish Bharti
    12 जून 2019
    मैम,कहानी में काव्यात्मकता है एक पाठक के तौर पर मुझे हमेशा से बेहद प्रभावित करती रही है। अच्छी कहानी के लिए लेखिका को साधुवाद!!