वो मेरी सुहागरात थी और दुल्हन बनी बैठी थीं तुम डरते-डरते मैं फ़ूलों की सेज में आया ही था कि देखा घूँघटा डाले घबराई सी सकुचाई सी बैठी थीं तुम डर-डर के हाथों को बढ़ाया घूँघटा तुम्हारा ...
वो मेरी सुहागरात थी और दुल्हन बनी बैठी थीं तुम डरते-डरते मैं फ़ूलों की सेज में आया ही था कि देखा घूँघटा डाले घबराई सी सकुचाई सी बैठी थीं तुम डर-डर के हाथों को बढ़ाया घूँघटा तुम्हारा ...