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मेरी नज़रो से

4.2
6696

20 october के सुबह मुझे धनबाद जाना था । तो हमेशा आदत की तरह मैं एक घंटे पहले ही स्टेशन पर ट्रैन का इंतज़ार कर रहा था । प्लेटफार्म पर अकेले बोर हो रहा था , तो मोबाइल निकाल कर सारे नोटिफिकेशन चेक कर ...

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लेखक के बारे में
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अभिलाष दत्ता

संपर्क - 9472596357 कहानी संग्रह - पटना वाला प्यार (flydreams publication) उपन्यास - 1. अवतार - महारक्षकों का आगमन (flywings, unit of flydreams publication) 2. दुर्गापुर जंक्शन (blue emerald publication) SWA MEMBER

समीक्षा
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  • author
    Dhirendra Tiwari
    22 டிசம்பர் 2017
    अगर उस व्यक्ति को उसकी इतनी ही चिंता थी तो उसे उसकी शादी किसी और से करानी चाहिए थी।यह प्यार नहीं सहानुभूति थी। और दूसरी बात आबादी बढ़ाने के लिए २ मशीनें चाहिए।जो गलत है तो ग़लत है इसमें नजर बेवकूफ बनाने का प्रयास कर रही है।
  • author
    Bhagyashree
    27 ஜூன் 2020
    love jihad ko badhawa deti Hui gandi Kahani... aise Gandi mansikata do shadi kabhi jayaj nahi ho sakti.. ye dhokha h chalawa h... 😡😡😡
  • author
    Roushan kumar
    03 ஆகஸ்ட் 2018
    मैं नहीं मानता ऐसी बातों को जो मेरे और मेरे दोस्तों के साथ हुआ था 15 अगस्त के दिन । जिसे सोच कर आज भी हमे अपने आप पर ही धिक्कार महशूस होता है की हमने क्यों नहीं अपनी कदम आगे बढ़ाई थी। हमारा देश अंदर से खोखला हो चूका है जिसे राजनीतीवश किसी को दिखाई नहीं देता । लेकिन हमने देखा था अपनी आँखों से अब 15 अगस्त और स्वतंत्रता का मायने मेरे अंदर है ही नहीं । ठीक होते है साप्रदायिक सोच वाले ही अब मैं भी अपने देश और धर्म के लिए जीता हूँ । लेकिन गंगा जमुना की कोई लाख मिशाल दे दे लेकिन मेरे सामने अब सब व्यर्थ है और मैं आशा भी करता हूँ की मेरे आँखों के सामने कोई गंगा जमुनी की बाते न करे । वैसे आपकी कहानी आपकी बहुत सही है। लेकिन मेरे सामने भी शायद डेढ़ साल पहले सही रहता लेकिन अब ब्यर्थ लगता है ऐसी एकता की बाते।
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    Dhirendra Tiwari
    22 டிசம்பர் 2017
    अगर उस व्यक्ति को उसकी इतनी ही चिंता थी तो उसे उसकी शादी किसी और से करानी चाहिए थी।यह प्यार नहीं सहानुभूति थी। और दूसरी बात आबादी बढ़ाने के लिए २ मशीनें चाहिए।जो गलत है तो ग़लत है इसमें नजर बेवकूफ बनाने का प्रयास कर रही है।
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    Bhagyashree
    27 ஜூன் 2020
    love jihad ko badhawa deti Hui gandi Kahani... aise Gandi mansikata do shadi kabhi jayaj nahi ho sakti.. ye dhokha h chalawa h... 😡😡😡
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    Roushan kumar
    03 ஆகஸ்ட் 2018
    मैं नहीं मानता ऐसी बातों को जो मेरे और मेरे दोस्तों के साथ हुआ था 15 अगस्त के दिन । जिसे सोच कर आज भी हमे अपने आप पर ही धिक्कार महशूस होता है की हमने क्यों नहीं अपनी कदम आगे बढ़ाई थी। हमारा देश अंदर से खोखला हो चूका है जिसे राजनीतीवश किसी को दिखाई नहीं देता । लेकिन हमने देखा था अपनी आँखों से अब 15 अगस्त और स्वतंत्रता का मायने मेरे अंदर है ही नहीं । ठीक होते है साप्रदायिक सोच वाले ही अब मैं भी अपने देश और धर्म के लिए जीता हूँ । लेकिन गंगा जमुना की कोई लाख मिशाल दे दे लेकिन मेरे सामने अब सब व्यर्थ है और मैं आशा भी करता हूँ की मेरे आँखों के सामने कोई गंगा जमुनी की बाते न करे । वैसे आपकी कहानी आपकी बहुत सही है। लेकिन मेरे सामने भी शायद डेढ़ साल पहले सही रहता लेकिन अब ब्यर्थ लगता है ऐसी एकता की बाते।