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मेरी मनोस्थिति

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आजकल कुछ ऐसी चल रही मेरी मनोस्थिति, खुद से ही लडते लडते थक गई, समझ नहीं आ रही मेरी मनोस्थिति, खुद की ही बातों में उलझ रही,खुद में ही सिमट रही, क्या ,क्यों और किसलिए के जवाबों में उलझ रही, क्यों ऐसी ...

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लेखक के बारे में
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Sunita ًRajput ً

मेरी रचनाओं में मैं खुद के अहसास लिखती हूं।ओर लिपि पर लिखना केवल मेरा शौक है। यूं भी बोल सकते हैं की मेरे अल्फाजों को ,दिल की बातों को लिखने का मंच मुझे मिला है। मेरी रचनाएँ कोई पढ़ता है तो ठीक नहीं तो भी। 🥰😍😘❣️इस तरह की इमोजी कोई भी ना डाले मेरी समीक्षा में।ओर भाई बहनों का मोस्ट वेलकम है।बाकी दोस्ती करने की मंशा से कोई भी बेशक फॉलो ना करे। मेरी लाइफ में दोस्त,भी राधे कृष्णा हैं और रिश्ते भी । रचना पढ़ने आएं हैं तो रचना पढ़ें ,पोस्ट पर कमेंट्स करने आए है तो जय श्री राधे कृष्णा करें। इसके अलावा फालतू की इमोजी और कमेंट्स के लिए जगह नहीं।मुझे यहां फॉलोवर नहीं बढ़ाने और नहीं कोई किसी से प्रतिस्पर्धा करनी है। बस लिखने का शौक है लिख लेती हूं।मुझे रेस नही लगानी है ।मुझे बस अपने एहसासों को अपनी कविता में पिरोना है☺️ Bt no message in my inbox,repeat again 🙏🙏

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    20 जनवरी 2023
    आदरणीय बहन सुनीता राजपूत आदरणीय , प्रतिलिपि के इस मंच में प्रतिदिन हम सभी लोग कुछ रचनाएं लिखते हैं, कुछ दूसरों की हैं । इसी तरह इस ज्ञान की गंगा में हम लोग साथ साथ गंगा में विसर्जित रौशन दिए की तरह बहते आगे बढ़ते जाते हैं। आप भी ज्ञान का एक दीपक हैं। मेरे जैसे इस छोटे दीपक ने आपसे कुछ उजाला ले लिया है और अपनी रोशनी को थोड़ा और ने निखार लिया है। बहुत अच्छा लिखने के लिए आपको हृदय तल से बधाई हो आदरणीय। धन्यवाद "शिवा"
  • author
    Awadhesh Kumar
    20 जनवरी 2023
    सबसे पहले खुद को ही समझना होगा, दूसरों को समझने और समझाने में वक्त गवाने की जरूरत है, उनको उनके हालात पर छोड़ देना चाहिए, सब कुछ अपने आप सुलझ जाता है| ओम् नमः शिवाय🌹🌹 🙏🙏
  • author
    Rajbala Rana
    21 जनवरी 2023
    जी, बेहतरीन।अपने मनोभावों पर हम काबू रख सकते हैं परन्तु दुसरों में जरा भी बदलाव की उम्मीद रखना बेमानी है। अपने इष्ट पर भरोसा कीजिए सब सही हो जाएगा।🙏
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    20 जनवरी 2023
    आदरणीय बहन सुनीता राजपूत आदरणीय , प्रतिलिपि के इस मंच में प्रतिदिन हम सभी लोग कुछ रचनाएं लिखते हैं, कुछ दूसरों की हैं । इसी तरह इस ज्ञान की गंगा में हम लोग साथ साथ गंगा में विसर्जित रौशन दिए की तरह बहते आगे बढ़ते जाते हैं। आप भी ज्ञान का एक दीपक हैं। मेरे जैसे इस छोटे दीपक ने आपसे कुछ उजाला ले लिया है और अपनी रोशनी को थोड़ा और ने निखार लिया है। बहुत अच्छा लिखने के लिए आपको हृदय तल से बधाई हो आदरणीय। धन्यवाद "शिवा"
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    Awadhesh Kumar
    20 जनवरी 2023
    सबसे पहले खुद को ही समझना होगा, दूसरों को समझने और समझाने में वक्त गवाने की जरूरत है, उनको उनके हालात पर छोड़ देना चाहिए, सब कुछ अपने आप सुलझ जाता है| ओम् नमः शिवाय🌹🌹 🙏🙏
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    Rajbala Rana
    21 जनवरी 2023
    जी, बेहतरीन।अपने मनोभावों पर हम काबू रख सकते हैं परन्तु दुसरों में जरा भी बदलाव की उम्मीद रखना बेमानी है। अपने इष्ट पर भरोसा कीजिए सब सही हो जाएगा।🙏