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मेरी जीत तेरी जीत

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खेल तो तू खेलता है और हम सबको भी खिलाता है । कभी हमारी हार तो कभी जीत दांव पर लगाता है । सबके लिए अलग अलग खेल रचे हैं तूने भगवन किसी को बैठाकर  खिलाता है तो किसी को दौड़ाता है । खुद बैठा रैफरी ...

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लेखक के बारे में
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Jaya Pant

मैं एक अध्यापिका हूँ।जीवन के उतार चढ़ावों को जब अंतर्मन से महसूस करती हूँ तो कुछ लिख लेती हूं। माँ सरस्वती की मुझ पर असीम अनुकम्पा है।खुश होती हूं तो लिखती हूं दुखी होती हूं तो लिखती हूं।चीजों को देखने का मेरा अपना अलग नजरिया है।इसलिये अलग अलग भाव होते हैं मेरी रचनाओं में।मैं प्रतिलिपि की आभारी हूं जिसने मुझे ये मंच प्रदान किया।सराहना के लिए पाठकों का हार्दिक धन्यवाद। साक्षी कविता हर एक पलऔर हर एक क्षण की है साक्षी मेरी कविता मेरे मन मंदिर के हर एक कक्ष की है साक्षी कविता. कविता की खिड़की से झांके मन की सभी भावनाएं, इसीलिए है रंग बदलती दुनियां की साक्षी कविता. है कभी छलकता प्रेम झलकती कभी घृणा कविताओं में वात्सल्य कभी कभी है क्रोध भय कभी कभी साहस व मोह मन चंचल है चंचल मन की वाचाल छवि मेरी कविता. जया पन्त (स्वरचित कविता )

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anil Tiwari
    12 सितम्बर 2021
    bahut achchhi rachna
  • author
    सरोज प्रजापति
    12 सितम्बर 2021
    बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌👏💐
  • author
    Ritu Goel
    12 सितम्बर 2021
    बहुत खूब अति सुन्दर अभिव्यक्ति
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anil Tiwari
    12 सितम्बर 2021
    bahut achchhi rachna
  • author
    सरोज प्रजापति
    12 सितम्बर 2021
    बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌👏💐
  • author
    Ritu Goel
    12 सितम्बर 2021
    बहुत खूब अति सुन्दर अभिव्यक्ति