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मेरी गीत हो तुम

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सुबह की एक खूबसूरत एहसास हो तुम। बुझ के भी ना बुझे जो कभी वो प्यास हो तुम। आवाज़ में तेरे वो जादू है जैसे कोयल की मीठी आवाज हो तुम। नहीं भूलते जिसे लब मेरे सुबह वाली चाय की मिठास हो तुम। पढ़ता हूं ...

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लेखक के बारे में

प्रद्युम्न शुक्ला जन्म_ 5 अक्टूबर 1998 ग्राम_ पुरेस्- वा पोस्ट_ मानिकपुर जनपद_जौनपुर दिल से शायर

समीक्षा
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  • author
    शुभम सिंह "शुभ"
    08 अप्रैल 2019
    मोहब्बत का लाजवाब फसाना लिखा आपने भाया 👌👍👍
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    शुभम सिंह "शुभ"
    08 अप्रैल 2019
    मोहब्बत का लाजवाब फसाना लिखा आपने भाया 👌👍👍