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मेरी भावना

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शीर्षक ..मेरी भावना जैन उपासक अक्सर स्वाध्याय करते वक्त ,संध्या सामायिक करते वक्त अथवा कहीं कहीं उठावना संस्कार में भी *मेरी भावना ---जिसने राग-द्वेष कामादिक जीते।* का पाठ करते हैं। पर बहुत कम ही। ...

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लेखक के बारे में
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मनोरमा जैन

क्या लिखूँ खुद के बारे में ..शब्दों से बना तन मेरा भाव रुधिर बहता है ।सामाजिक ताने बाने नस ,हड्डियों का ढाँचा है। अहसास बने वस्त्र मेरे यही स्वरूप देखा है। पाखी प्रतीक है तो मनोरमा भी एक निशान है ।

समीक्षा
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    16 दिसम्बर 2022
    अति उत्तम अभिव्यक्ति 👌✍️💐
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    16 दिसम्बर 2022
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