शीर्षक ..मेरी भावना जैन उपासक अक्सर स्वाध्याय करते वक्त ,संध्या सामायिक करते वक्त अथवा कहीं कहीं उठावना संस्कार में भी *मेरी भावना ---जिसने राग-द्वेष कामादिक जीते।* का पाठ करते हैं। पर बहुत कम ही। ...
क्या लिखूँ खुद के बारे में ..शब्दों से बना तन मेरा भाव रुधिर बहता है ।सामाजिक ताने बाने नस ,हड्डियों का ढाँचा है। अहसास बने वस्त्र मेरे यही स्वरूप देखा है।
पाखी प्रतीक है तो मनोरमा भी एक निशान है ।
सारांश
क्या लिखूँ खुद के बारे में ..शब्दों से बना तन मेरा भाव रुधिर बहता है ।सामाजिक ताने बाने नस ,हड्डियों का ढाँचा है। अहसास बने वस्त्र मेरे यही स्वरूप देखा है।
पाखी प्रतीक है तो मनोरमा भी एक निशान है ।
रिपोर्ट की समस्या