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मेरे प्यारे बेटे सुल्तान,

4.6
1104

मेरे प्यारे बेटे सुल्तान, आज पहली बार मैं तुम्हारी मां तुमसे पत्र के माध्यम से बात कर रही हूं. तुम यही समझ लो कि तुम्हारी मां तुम्हें गले से लगाकर, सामने बैठकर तुम्हें ये सबकुछ कह रही है और तुम ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    28 ஏப்ரல் 2016
    पढकर अपनी सम्मति लगभग पूरी लिखी, कि कोई गलत बटन दबा और सब गायब! बिल्कुल  वैसे ही जैसे मातृभक्त सुल्तान के मन से मां की सारी नसीहतें कॉलिज की गर्ल-फ़्रेण्ड को देखकर हो जाती है। … पत्र फ़िर छोटा है, अपर्याप्त भी। युवा मन से नैसर्गिक वासना पर काबू पाने की अपील का क्या अर्थ है मित्र? समाज ने कोई तर्क-संगत आधार भी तो नहीं दिया संयम के लिए? ब्रह्मचर्य पर तो साम्प्रदायिक गाली फ़ेंक देते हैं सेकुलर लेखक बिरादरी! अब सुल्तान आपकी बात सुने कि प्रगति पथ पर आगे बढे? प्रगति तो हर सप्ताह गर्ल-बॉय-फ़्रेण्ड बदलने से ही है मित्र! प्रणाम!
  • author
    Latika Batra "Batra"
    11 மே 2016
    उथला वा संक्षिप्त लेखन । कथ्य में बहुत संभावनाये थी कहने की पर लेखक पूर्णतः असफल रहा ।
  • author
    29 ஜனவரி 2019
    सुंदर अभिव्यक्ति.....
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    28 ஏப்ரல் 2016
    पढकर अपनी सम्मति लगभग पूरी लिखी, कि कोई गलत बटन दबा और सब गायब! बिल्कुल  वैसे ही जैसे मातृभक्त सुल्तान के मन से मां की सारी नसीहतें कॉलिज की गर्ल-फ़्रेण्ड को देखकर हो जाती है। … पत्र फ़िर छोटा है, अपर्याप्त भी। युवा मन से नैसर्गिक वासना पर काबू पाने की अपील का क्या अर्थ है मित्र? समाज ने कोई तर्क-संगत आधार भी तो नहीं दिया संयम के लिए? ब्रह्मचर्य पर तो साम्प्रदायिक गाली फ़ेंक देते हैं सेकुलर लेखक बिरादरी! अब सुल्तान आपकी बात सुने कि प्रगति पथ पर आगे बढे? प्रगति तो हर सप्ताह गर्ल-बॉय-फ़्रेण्ड बदलने से ही है मित्र! प्रणाम!
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    Latika Batra "Batra"
    11 மே 2016
    उथला वा संक्षिप्त लेखन । कथ्य में बहुत संभावनाये थी कहने की पर लेखक पूर्णतः असफल रहा ।
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    29 ஜனவரி 2019
    सुंदर अभिव्यक्ति.....