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मेरे पिताजी

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आश्चर्य हो रहा होगा कि मैं आज अपने पापा की नही पिताजी की कहानी सुना रही हूँ,। श्वसुर, मेरे पापा के भी पापा के उम्र के यानी बाबा😊, बेहद गुस्सैल अक्सर उन्हें क्रोधित होते देखा, और एक अनजाना से डर ...

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लेखक के बारे में
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रश्मि सिन्हा

मैं रश्मि सिन्हा, लेखिका कह सकते हैं, लेखन की शुरुआत फेस बुक से ही, विभिन्न समूहों से जुड़, कविता , कहानी लेख आदि लिखे, अब फेस बुक पर ही अपने एक ग्रुप के संचालन में व्यस्त। 3 सांझ संकलन, 2 स्वयं की पुस्तकें प्रकाशित , अनगढ़, और उद्गार। अब तक विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित, ऑन लाइन और ऑफ लाइन पर लेखन महज एक शौक ,आत्म संतुष्टि का माध्यम , व्यवसाय नही👍 अब अपनी कहानियां और कविताएं और बातें😊 लेकर यूट्यूब चैनल में भी हाजिर कृपया देखे Rashmi sinha kadam dar kadam

समीक्षा
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    Samta Parmeshwar
    31 जनवरी 2021
    इन्सान चला जाता है सिर्फ यादें रह जाती हैं। क्रोध का एक कारण उनको कुछ दिखाई न देना भी हो सकता है। असहनीय वेदना महसूस की होगी पर बांटने वाला कोई नहीं समझ सकती हूं। पढ़ कर आंखें भर आईं।🙏🙏
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    डॉ रेनु सिंह
    31 जनवरी 2021
    बहुत जीवन्त वर्णन किया है आपने अपने पिता सदृश श्वसुर जी का। मनोवैज्ञानिक रूप से क्रोध के पीछे कोइ न कोई कारण होता है उनका कारण दृष्टि कम होना था।
  • author
    31 जनवरी 2021
    सार्थक सृजन प्रेरक प्रस्तुति । (मेरे पापा के भी पापा (पाप) शब्द को संशोधित कीजिएगा आत्मीया।।👍🙏🙏🙏
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    Samta Parmeshwar
    31 जनवरी 2021
    इन्सान चला जाता है सिर्फ यादें रह जाती हैं। क्रोध का एक कारण उनको कुछ दिखाई न देना भी हो सकता है। असहनीय वेदना महसूस की होगी पर बांटने वाला कोई नहीं समझ सकती हूं। पढ़ कर आंखें भर आईं।🙏🙏
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    डॉ रेनु सिंह
    31 जनवरी 2021
    बहुत जीवन्त वर्णन किया है आपने अपने पिता सदृश श्वसुर जी का। मनोवैज्ञानिक रूप से क्रोध के पीछे कोइ न कोई कारण होता है उनका कारण दृष्टि कम होना था।
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    31 जनवरी 2021
    सार्थक सृजन प्रेरक प्रस्तुति । (मेरे पापा के भी पापा (पाप) शब्द को संशोधित कीजिएगा आत्मीया।।👍🙏🙏🙏