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मेरे पिता श्री

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मेरे पिता श्री जिला- हापुड़, श्यामपुर जट्ट गांव, खचेडू-ननिया ने दिया जीवनदान। खीमचन्द राजमिस्त्री ठेकेदार से उन्होंने पाई सदा अपनी पहचान। मेरे पिताजी परिवार समन्वय, चाहते हमेशा रहें ...

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लेखक के बारे में
author
harit virsingh

बी. एस. सी. (कृषि), बी. एड., साहित्यरत्न, परास्नातक (हिंदी, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र), आशुलिपिक (हिंदी), प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र (फसल काटने के बाद तकनीक एवं खाद्यानों का वैज्ञानिक तरीकों से निरीक्षण और भंडारण।) वर्तमान में दिल्ली प्रशासन प्रशिक्षित स्नातक हिंदी के पद पर कार्यरत। 'चेतना" (काव्य-संग्रह) पुस्तक प्रकाशित, हिंदी साहित्य विकास परिषद द्वारा प्रकाशित "आवाज़" और "झंकार" में रचनाओं का चयन। डॉ० उदयवीर सिंह द्वारा प्रकाशित "नई उमंगे" और "काव्य उपवन"में रचनाओं का चयन, मूकवक्ता, दलित टुडे और धम्म दर्पण पत्रिकाओं में रचनाओं का चयन। ट्र मीडिया पर समय-समय पर कविता पाठ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Chaurasia
    21 जून 2020
    रचना बहुत बढ़िया लगी।
  • author
    Dr. UDAY VIR SINGH
    23 जून 2020
    good
  • author
    GANESH VYAS "VyasG"
    21 जून 2020
    bahut khub
  • author
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    Rakesh Chaurasia
    21 जून 2020
    रचना बहुत बढ़िया लगी।
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    Dr. UDAY VIR SINGH
    23 जून 2020
    good
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    GANESH VYAS "VyasG"
    21 जून 2020
    bahut khub