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मेरे पापा जैसे

4.4
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उसने एक बार फिर नजर उठा कर अपनी मेज पर रखे फाइलों के पहाड़ को देखा ,और खुद को तसल्ली देते हुये बोली .... अगर बुलेट ट्रेन की तरह काम किया तो आज के आज काम खत्म कर ही लूँगी। तभी खिड़की से एक चंचल ...

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लेखक के बारे में

नाम :- नेहा अग्रवाल नेह जन्म :- 19 अप्रैल शिक्षा :- एम .एस.सी ( रसायनशास्त्र ) लेखन विधा :- लघुकथा ,कहानी ,कविता,व्यंग्य,पत्र,लेख दैनिक भास्कर मधुरिमा , दैनिक जागरण , साहित्य अमृत, मृगमरीचिका, साधव्यूज, साहित्य सरोज ,परतों की पड़ताल , लोकजंग ,दैनिक अकुंर , नवप्रदेश ,अट्टहास , दैनिक मैट्रो ,साफ्ताहिक अकोदिया सम्राट ,प्रतिलिपि ,योर कोट्स ,मातृ भारती ,स्टोरी मिरर, हिन्दी रचना संसार , हैक जिन्दगी , साहित्यपीडिया , किस्सा कृति , सत्य की मशाल ,आगमन ,गृहलक्ष्मी , पर रचनाएं प्रकाशित प्रकाशित कृतियाँँ :- बूँद - बूँद सागर ( लघुकथा संग्रह ) , फलक ( लघुकथा संग्रह ),अपने अपने क्षितिज ( लघुकथा संग्रह ),काव्य सुरभि ( काव्य संग्रह ) सम्पादित कृति :- स्वप्नगंधा काव्य संग्रह फोन :- 9410405901 ईमेल:- [email protected]

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravinder Kaur
    11 जुलाई 2020
    बिल्कुल बारिश की बूंदों जैसी मन को ठंडक देकर मुझे उम्र के 52वे वर्ष में भी पिता की याद दिला गई आपकी यह खूबसूरत रचना।
  • author
    V!$#@|_ जी...❣️😊
    15 अक्टूबर 2020
    बहुत बढ़िया लिखा हैं आपने...👍👌👌😊
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    Ravinder Kaur
    11 जुलाई 2020
    बिल्कुल बारिश की बूंदों जैसी मन को ठंडक देकर मुझे उम्र के 52वे वर्ष में भी पिता की याद दिला गई आपकी यह खूबसूरत रचना।
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    V!$#@|_ जी...❣️😊
    15 अक्टूबर 2020
    बहुत बढ़िया लिखा हैं आपने...👍👌👌😊