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मेरे घर का सीधा सा इतना पता है

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इक ऐसे घर में रहते है हम जहां सूरज न निकलता है न डूबता है न अमावस्या का अंधकार न पूर्णिमा का इंतज़ार बस इक बराबर सी सुकून भरी रोशनी कायम रहती है सदा जहां जुबां आजाद है सब की, बात अपनी कहने को ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mrs Patil
    05 जून 2020
    कायनात तक की वसियत...व्वाह क्या खूब... ऐसा घर सभी को नसीब हो... प्रत्येक शब्द नायाब... शब्दों का चयन लाजवाब... मन को बहुत भा गई.... चित्रदर्शी भावपूर्ण रचना सर जी
  • author
    Yashoda Aanjana "Yashu 😊"
    05 जून 2020
    बहुत अच्छा लिखा सर 🙏
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    Mrs Patil
    05 जून 2020
    कायनात तक की वसियत...व्वाह क्या खूब... ऐसा घर सभी को नसीब हो... प्रत्येक शब्द नायाब... शब्दों का चयन लाजवाब... मन को बहुत भा गई.... चित्रदर्शी भावपूर्ण रचना सर जी
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    Yashoda Aanjana "Yashu 😊"
    05 जून 2020
    बहुत अच्छा लिखा सर 🙏