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मेरा रेप हुआ था!

4.4
147992

वर्तमान दिन प्लीज मुझे छोड़ दो। मुझे जाने दो। तुम ये ठीक नहीं कर रही हो। मैंने इसलिए तुम्हें घर पर नहीं बुलाया था। मैं बस हमारी गलतियों को ठीक करना चाहता था। वो हाथ जोड़कर, कुछ दुबका हुआ-सा बिस्तर के ...

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लेखक के बारे में
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प्रिया गर्ग

“लिखना कब पसंद से प्यार बन गया है पता ही नहीं चला।” मैंने (प्रिया गर्ग) माध्यमिक शिक्षा में स्नाकोतर (Bachelor of Elementary Education) और हिंदी भाषा तथा शिक्षा में उच्च-स्नाकोतर (Masters in Arts- Hindi and Education) में शिक्षा प्राप्त की है। पेशे से एक शिक्षिका और पाठ्यक्रम विकासकर्ता हूँ। कहानी लिखना पसंद था। ये पसंद धीरे-धीरे प्यार बना और अपने आसपास मिलती घटनाओं को संजोना शुरू कर दिया। किस्सों की उसी पोटली से निकली कुछ कहानियों का संग्रह मेरी पहली किताब "मेरा रेप हुआ था" है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    27 ফেব্রুয়ারি 2018
    रेप लड़कियो का होता है यही सब जानते हैं । लड़को का रेप प्रश्नचिह्न है ।लेखिका ने कहानी के भावतत्व के साथ न्याय किया पर क्या जो लड़का सीडी बनाने की सोच सकता है क्या वो सीडी बना कर अपनी माँ को नही दिखा सकता था ? ये बात अनुत्तरित रह गयी है ।और बेटे के जाने के बाद क्या माँ ने या पुलिस ने कक्ष की तलाशी नही ली थी? पुलिस तलाशी लेती है । ये बात भी अनुत्तरित रही ।
  • author
    12 ডিসেম্বর 2018
    अगर 5 स्टार से ज़्यादा की रेटिंग का प्रावधान होता तो वो मैं आपको देती,बहुत ही उम्दा कहानी,आजकल सबसे आसान है किसी के ऊपर रेप का आरोप लगा देना,ज़रूरी नहीं कि लड़कियां हमेशा सही ही हो।
  • author
    Aakash's Effect
    25 মে 2018
    आप ने अपनी बात स्पष्ट शब्दों में रखी इस कारण ये कहानी कम और न्यूज़ रिपोर्ट ज्यादा लगी। यदि राजीव की मौत पर ही कहानी समाप्त हो जाती तो शायद अंत बेहतर होता परंतु सुखांत बनाने के चक्कर में ऑडियो सी०डी०, राजीव का बयान, रिकॉर्डिंग, पुलिस केस और शिवानी को सजा... ये सब अधिक लंबा हो गया और कहानी एक घटना के समाचार में बदल गयी। कथानक की गति भी ज्यादा ही रही है जो शायद कहानी ज्यादा लंबी न हो इस कारण रखी गयी है। परंतु इसे संपादन के माध्यम से उचित लंबाई में भी पूरे शब्दों के माध्यम से उतारा जा सकता है। एक बात और.. आपने बार-बार राजीव और शिवानी के मध्य आयु के अंतराल की बात लिखी है पर जहां राजीव की आयु १९ बताई गई है वहीं शिवानी की आयु नही बताई गई और न ही शिवानी के बारे में अन्य बातें पता चलती हैं। शिवानी कथा की सूत्रधार है अतः उसके चरित्र को पूर्ण विकसित रूप में दिखाना चाहिए था पर इस में थोड़ी कमी लगी। खैर ये कहानी आपकी है, आप ने अपने हिसाब से जो सर्वोत्तम लगा वो लिखा। प्रयास अच्छा रहा और सबसे अच्छा रहा कहानी का शीर्षक जो बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। ऐसे और प्रयास करती रहिए। 👍👍👍
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    27 ফেব্রুয়ারি 2018
    रेप लड़कियो का होता है यही सब जानते हैं । लड़को का रेप प्रश्नचिह्न है ।लेखिका ने कहानी के भावतत्व के साथ न्याय किया पर क्या जो लड़का सीडी बनाने की सोच सकता है क्या वो सीडी बना कर अपनी माँ को नही दिखा सकता था ? ये बात अनुत्तरित रह गयी है ।और बेटे के जाने के बाद क्या माँ ने या पुलिस ने कक्ष की तलाशी नही ली थी? पुलिस तलाशी लेती है । ये बात भी अनुत्तरित रही ।
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    12 ডিসেম্বর 2018
    अगर 5 स्टार से ज़्यादा की रेटिंग का प्रावधान होता तो वो मैं आपको देती,बहुत ही उम्दा कहानी,आजकल सबसे आसान है किसी के ऊपर रेप का आरोप लगा देना,ज़रूरी नहीं कि लड़कियां हमेशा सही ही हो।
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    Aakash's Effect
    25 মে 2018
    आप ने अपनी बात स्पष्ट शब्दों में रखी इस कारण ये कहानी कम और न्यूज़ रिपोर्ट ज्यादा लगी। यदि राजीव की मौत पर ही कहानी समाप्त हो जाती तो शायद अंत बेहतर होता परंतु सुखांत बनाने के चक्कर में ऑडियो सी०डी०, राजीव का बयान, रिकॉर्डिंग, पुलिस केस और शिवानी को सजा... ये सब अधिक लंबा हो गया और कहानी एक घटना के समाचार में बदल गयी। कथानक की गति भी ज्यादा ही रही है जो शायद कहानी ज्यादा लंबी न हो इस कारण रखी गयी है। परंतु इसे संपादन के माध्यम से उचित लंबाई में भी पूरे शब्दों के माध्यम से उतारा जा सकता है। एक बात और.. आपने बार-बार राजीव और शिवानी के मध्य आयु के अंतराल की बात लिखी है पर जहां राजीव की आयु १९ बताई गई है वहीं शिवानी की आयु नही बताई गई और न ही शिवानी के बारे में अन्य बातें पता चलती हैं। शिवानी कथा की सूत्रधार है अतः उसके चरित्र को पूर्ण विकसित रूप में दिखाना चाहिए था पर इस में थोड़ी कमी लगी। खैर ये कहानी आपकी है, आप ने अपने हिसाब से जो सर्वोत्तम लगा वो लिखा। प्रयास अच्छा रहा और सबसे अच्छा रहा कहानी का शीर्षक जो बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। ऐसे और प्रयास करती रहिए। 👍👍👍