मेरा प्यारा बचपन...... सुबह मां गोद में लेकर उठाती, अपने हाथो से नहलाती, मुझे दुनिया की, सबसे सुंदर बच्ची बनाती। अपने हाथों से खाना खिलाती, तभी तो मजबूत बन पाती। खेल कूद कर करती जब, सारे कपड़े खराब। ...
मैं एक आजाद पंछी थी,मां बाप के आंगन में उड़ती थी और खुश रहती थीं। लेकिन अब पिंजरे में हूं...... उड़ना चाहती हूं पहले के जैसे लेकिन जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी हुई हूं।
सारांश
मैं एक आजाद पंछी थी,मां बाप के आंगन में उड़ती थी और खुश रहती थीं। लेकिन अब पिंजरे में हूं...... उड़ना चाहती हूं पहले के जैसे लेकिन जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी हुई हूं।
रिपोर्ट की समस्या
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