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मेरा पुराना घर, अब यहाँ कोई नही रहता

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मेरा पुराना घर, अब यहाँ कोई नही रहता, ये बरगद के पेड़ जैसा खड़ा है, सदियां अपने अतीत में लिए हुए, पुरखो की यादों को, हमारे बचपन को, मेरा पुराना घर, अब यहाँ कोई नही रहता। वो गर्मी को सोखने वाली ...

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लेखक के बारे में

मै पिछले 19 वर्षों से समाज कार्य के क्षेत्र में महिला एवं बाल स्वास्थ्य पर विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक संस्थानो के साथ कार्यरत हूँ। लेखन का ज्यादा अनुभव नही है, कोशिश है कि कुछ अपने मन की बातों को शब्दों के माध्यम से कागज़ पर उतार सकूँ। आशा है कि प्रतिलिपि के माध्यम से आप सभी के विचारों/ टिप्पणी से अपनी रचनाओं को नया आयाम दे पाऊंगा।।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Neelima Kumar
    06 जून 2021
    यादों की पोटली खुली तो लगा उस घर में किसी ने रंग रोगन कर दिया हो और उस पुराने घर की दरो- दीवार प्रसन्नता से झूम उठी हो। सुन्दर चित्रण। साधुवाद। 🙏
  • author
    06 जून 2021
    गाँव के घरो को रोज याद करते है जैसा आपने लिखा बह सब याद आता है ।बीते दिन याद आते है ,गुजरे जमाने याद आते है । बहुत भावपूर्ण रचना सर 👌👌👌👌👌
  • author
    R.K shrivastava
    06 जून 2021
    बेहतरीन रचना ! गुजरे हुए जमाने की सुखद स्मृतियाँ ,दा सुखद ही लगती है चाहे जितने साल भी बीत जायें !!! 👌👌👌👌👌👌
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    Neelima Kumar
    06 जून 2021
    यादों की पोटली खुली तो लगा उस घर में किसी ने रंग रोगन कर दिया हो और उस पुराने घर की दरो- दीवार प्रसन्नता से झूम उठी हो। सुन्दर चित्रण। साधुवाद। 🙏
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    06 जून 2021
    गाँव के घरो को रोज याद करते है जैसा आपने लिखा बह सब याद आता है ।बीते दिन याद आते है ,गुजरे जमाने याद आते है । बहुत भावपूर्ण रचना सर 👌👌👌👌👌
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    R.K shrivastava
    06 जून 2021
    बेहतरीन रचना ! गुजरे हुए जमाने की सुखद स्मृतियाँ ,दा सुखद ही लगती है चाहे जितने साल भी बीत जायें !!! 👌👌👌👌👌👌