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मेरा क्या कुसूर था.?

4.0
15098

रुचि अपने दो कमरों के घर में अकेली बैठी थी। यूँ तो आज वर्किंग डे था, पर रुचि का काम पर जाने का मन ही नहीं हुआ। आज का दिन वह अकेले बिताना चाहती थी, इसलिये उसने पहले से छुट्टी की अर्जी दे दी थी। विवेक ...

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लेखक के बारे में

एक लम्बे समय से हिन्दी तथा अंग्रेजी में कविता, कहानियाँ लिखती आई हूँ। अधिकतर ब्लॉग, आनलाईन और सोशल साईटस पर साझा कर लेती हूँ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sonia Pratibha "Tani"
    01 ऑक्टोबर 2018
    कहानी सुंदर है आप की पर शब्दो की चंचलता ने कहानी की इस्थिरता का हनन कर दिया साधुवाद
  • author
    Sharvan Jat
    06 ऑगस्ट 2018
    इश्क़ बिना क्या जीना,,,,,😢😢😢😢
  • author
    Naveen Pal
    09 जुलै 2018
    Awesome... Story poori kaise aayegi
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sonia Pratibha "Tani"
    01 ऑक्टोबर 2018
    कहानी सुंदर है आप की पर शब्दो की चंचलता ने कहानी की इस्थिरता का हनन कर दिया साधुवाद
  • author
    Sharvan Jat
    06 ऑगस्ट 2018
    इश्क़ बिना क्या जीना,,,,,😢😢😢😢
  • author
    Naveen Pal
    09 जुलै 2018
    Awesome... Story poori kaise aayegi