मन आज तुम्हें ही ढूढ रहा है..ढूढ ढूढ कर थक जाता है..तो सोचता है..बस नींद आ जाये..और नींद..में ख्बाब..और ख्बाब में ..आ जाये....मेरा जोगी.. हालांकि तुमने कहा था..मैं तुम्हें ..मन्नत के धागों से न ...
वाह जी वाह बहुत खूब चिठ्ठी फूल भी बनेंगी ओर मेहकेगी भी सारे जहां में मन में तो विश्वास है कि जबतक सासें है तब तक तो चिठ्ठी आती हि रहेगी। जयहो भोलेनाथ शम्भु जयहो सब का भलाहो
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वाह जी वाह बहुत खूब चिठ्ठी फूल भी बनेंगी ओर मेहकेगी भी सारे जहां में मन में तो विश्वास है कि जबतक सासें है तब तक तो चिठ्ठी आती हि रहेगी। जयहो भोलेनाथ शम्भु जयहो सब का भलाहो
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