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मेरा जिगरी दोस्त

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उदास सा प्रश्नों से घिरा मन कहता है, उठो चाँद से बात करो. चाँद की केसरिया चाँदनी में, तुम बहुत याद आते, सताते हो. चाँद सितारों में, रात रात को जाग कर तुम्हें ढूँढती रहती हूँ. बिखरती चाँदनी में, चाँद ...

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लेखक के बारे में
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Asha garg

प्रतिलिपि पर ये मेरा एकमात्र अकाउंट है, इसके अलावा मेरा कोई भी अकाउंट दिखे तो उसकी कोई जिम्मेदारी मेरी नहीं है. कृपया inbox msg ना करे.😊 मेरा fake id बनाने वाले तेरा मुँह काला

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    धनु दयाल "Dhanu"
    05 मई 2021
    वाह बहुत सुंदर । मैं नहीं मानती चांद का शाप । बहुत-बहुत बढ़िया लेखन
  • author
    Pandey Jitendra "Jeet"
    05 मई 2021
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति 👌👌💐💐💐💐 मैं नही मानती चांद का श्राप
  • author
    Dinesh uniyal "Anahat"
    05 मई 2021
    बहुत सुंदर भाव प्रस्तुत किए हैं लाजवाब प्रस्तुति है 👌👌👌💐💐🙏🏻
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    धनु दयाल "Dhanu"
    05 मई 2021
    वाह बहुत सुंदर । मैं नहीं मानती चांद का शाप । बहुत-बहुत बढ़िया लेखन
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    Pandey Jitendra "Jeet"
    05 मई 2021
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति 👌👌💐💐💐💐 मैं नही मानती चांद का श्राप
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    Dinesh uniyal "Anahat"
    05 मई 2021
    बहुत सुंदर भाव प्रस्तुत किए हैं लाजवाब प्रस्तुति है 👌👌👌💐💐🙏🏻