आज नियति की आँखे उसके मुह से ज्यादा बोल रही थी।सरे सवाल होठों की जगह आँखों में उतर आये थे।2 साल हो गए नितीश अब बस मेरा हिसाब कर दो। और नितीश जैसे अपने में ही सिमटा सा बैठा था,कैसे कर दूँ नियति का ...
आज नियति की आँखे उसके मुह से ज्यादा बोल रही थी।सरे सवाल होठों की जगह आँखों में उतर आये थे।2 साल हो गए नितीश अब बस मेरा हिसाब कर दो। और नितीश जैसे अपने में ही सिमटा सा बैठा था,कैसे कर दूँ नियति का ...