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मेरा ढेर सारा प्यार मेरी नन्ही परी

4.2
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मेरा ढेर सारा प्यार मेरी नन्ही परी यूँ तो मैं तुम्हें कोई आशीष नहीं दे सकती हूँ ना ही तुम्हारे अस्तित्व की मंगलकामना ही कर सकती हूँ क्योंकि तुम्हारा अस्तित्व बनने से पहले ही मिटा दिया गया मेकोख में । ...

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    सुषमा सिन्हा
    29 अप्रैल 2016
    बहुत बढ़िया !!
  • author
    25 अप्रैल 2016
    पत्र नहीं माफीनामा .....?
  • author
    04 मई 2016
    बेबस ममता की व्यथा दिल में मचल रही एक बेबस माँ की करुण व्यथा उभर आई है इस लेख में| एक परिवार की कठोर हठधर्मिता अभिशाप बन गयी एक मासूम कली के लिए, जिसे खामोश कर दिया गया उस प्राण कोठरी में जिसे हम कोख कहते है| वो तय भी न कर पाई कोख से गोद तक का सफ़र, वो साँस भी न ले पाई इस जहाँ की खुली हवा में, वो सुन भी नहीं पाई ममतामयी लोरी, चीत्कार में बदल गयी जिसकी किलकारी, जो गयी थी जीने से पहले मारी| आपकी इस लेखनी ने झकझोर दिया है अंदर गहराई तक| काश माँ इतनी बेबस नहीं होती, प्रतिकार किया होता उसने उस पुरुष दंभ का और बचा लेती अपनी जिंदगी के अंश को अस्तित्व को| -राजेंद्र गुलेच्छा
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    सुषमा सिन्हा
    29 अप्रैल 2016
    बहुत बढ़िया !!
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    25 अप्रैल 2016
    पत्र नहीं माफीनामा .....?
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    04 मई 2016
    बेबस ममता की व्यथा दिल में मचल रही एक बेबस माँ की करुण व्यथा उभर आई है इस लेख में| एक परिवार की कठोर हठधर्मिता अभिशाप बन गयी एक मासूम कली के लिए, जिसे खामोश कर दिया गया उस प्राण कोठरी में जिसे हम कोख कहते है| वो तय भी न कर पाई कोख से गोद तक का सफ़र, वो साँस भी न ले पाई इस जहाँ की खुली हवा में, वो सुन भी नहीं पाई ममतामयी लोरी, चीत्कार में बदल गयी जिसकी किलकारी, जो गयी थी जीने से पहले मारी| आपकी इस लेखनी ने झकझोर दिया है अंदर गहराई तक| काश माँ इतनी बेबस नहीं होती, प्रतिकार किया होता उसने उस पुरुष दंभ का और बचा लेती अपनी जिंदगी के अंश को अस्तित्व को| -राजेंद्र गुलेच्छा