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मेरा अकेलापन

4.1
779

बहुत दिनों से एक सागर मेरे मन में हिलोरें मार रहा था मन में एक अजीब सी बेचैनी छाई हुई थी पर मूझको अहसास होता था कि मैं मैं बिल्कुल आधा हूँ दूज के चाँद की तरह और वो भी एक तरफ़ा और यौवन की खुशबु को ...

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लेखक के बारे में
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अशोक सपड़ा
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 दिसम्बर 2017
    बहुत अच्छा
  • author
    गंगा राम
    01 सितम्बर 2024
    शानदार. कृपया मेरी रचना को पढ़ें.
  • author
    sudhakararao kommuri
    18 नवम्बर 2021
    good
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    29 दिसम्बर 2017
    बहुत अच्छा
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    गंगा राम
    01 सितम्बर 2024
    शानदार. कृपया मेरी रचना को पढ़ें.
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    sudhakararao kommuri
    18 नवम्बर 2021
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