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मैं सिगरेट का टुकड़ा

3.5
811

महँगी सस्ती कोई भी हो सकती हूँ। सजी सजाई, चुस्त दुरुस्त सलीके से पैक की हुई। कहीं कोई कमी नही, कोई शिकायत का मौका भी नही। निकाला जाता है मुझे नयी नवेली दुल्हन की तरह बड़ी अदायगी के साथ, फिर जलाया जाता ...

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लेखक के बारे में
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सरिता पन्थी
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    06 अप्रैल 2022
    अजी सिगरेट तो जानलेवा है,फिर आपने सिगरेट के टुकड़े से हमदर्दी क्यू जताई??उल्टा उसका अपमान करना चाहिए था
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा के अनुसार कविता कहने  का औचित्य नहीं बनता । अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक ।
  • author
    Khushi Cairns
    13 अक्टूबर 2015
    Great Thought dear Many Many Congragulations For ur every wording i Salute u di
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  • author
    Manjit Singh
    06 अप्रैल 2022
    अजी सिगरेट तो जानलेवा है,फिर आपने सिगरेट के टुकड़े से हमदर्दी क्यू जताई??उल्टा उसका अपमान करना चाहिए था
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा के अनुसार कविता कहने  का औचित्य नहीं बनता । अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक ।
  • author
    Khushi Cairns
    13 अक्टूबर 2015
    Great Thought dear Many Many Congragulations For ur every wording i Salute u di