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mehndi

4.5
19102

ऑटो में बैठते ही शरद बोला "तुम इतना लेट क्यों ? मेक- अप का शौक लग गया क्या ?", स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा "नहीं, बुआ जी को मेहन्दी लगनी थी, उसी में देर हो गयी" "ओह्ह, मुझे ये मेहँदी की बू पसंद ...

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लेखक के बारे में
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रुचिका मेहता

दिमाग को भरा रखने के लिए "पढ़ना" और खाली करते रहने के लिए "लिखना", जरुरी लगता है मुझे !!!

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Alka Yadav
    04 दिसम्बर 2018
    कहानी अच्छी है पर ऐसे ही घर वाले नही मान जाते पर कहानी मे कैसे कायापलट हो गई कुछ समझ मे नही आया
  • author
    kitttu "Kia"
    31 मार्च 2018
    sirf spno m ho skta h real m ni.
  • author
    सगीर अहमद
    24 सितम्बर 2019
    अच्छी कहानी मगर ऐसा लगता है एक कविता के माध्यम से स्टोरी शोर्टकट में लिखी हुई है, अगर इसका विस्तार से वर्णन होता तो और भी अच्छी लगती
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    Alka Yadav
    04 दिसम्बर 2018
    कहानी अच्छी है पर ऐसे ही घर वाले नही मान जाते पर कहानी मे कैसे कायापलट हो गई कुछ समझ मे नही आया
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    kitttu "Kia"
    31 मार्च 2018
    sirf spno m ho skta h real m ni.
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    सगीर अहमद
    24 सितम्बर 2019
    अच्छी कहानी मगर ऐसा लगता है एक कविता के माध्यम से स्टोरी शोर्टकट में लिखी हुई है, अगर इसका विस्तार से वर्णन होता तो और भी अच्छी लगती