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महबूब की मेहंदी

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मेरे महबूब तेरे नाम की मेंहदी अपने हाथों में रचाली है ख्वाब में जो आई थी नजर तेरी सूरत, उसकी तस्वीर अपने दिल में बनाली है दिन इत्र और रात गजरे सी महकने लगी है, जब से मैंने शादी रचाली है ...

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लेखक के बारे में
author
Sameer Khan

कवि / लेखक

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    निशा शर्मा
    01 ഏപ്രില്‍ 2020
    बहुत सुंदर सर , शादीशुदा ...आज के विषय के मुताबिक सबसे सकारात्मक व महकती हुई रचना , सचमुच बहुत अच्छा लगा वरना तो पता नहीं क्यों सब इसके नकारात्मक पहलुओं पर ही ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं वो भी हास्य का नाम देकर 🙏
  • author
    01 ഏപ്രില്‍ 2020
    बहुत सुन्दर
  • author
    Aliya Khan
    01 ഏപ്രില്‍ 2020
    bahut khoub
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  • author
    निशा शर्मा
    01 ഏപ്രില്‍ 2020
    बहुत सुंदर सर , शादीशुदा ...आज के विषय के मुताबिक सबसे सकारात्मक व महकती हुई रचना , सचमुच बहुत अच्छा लगा वरना तो पता नहीं क्यों सब इसके नकारात्मक पहलुओं पर ही ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं वो भी हास्य का नाम देकर 🙏
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    01 ഏപ്രില്‍ 2020
    बहुत सुन्दर
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    Aliya Khan
    01 ഏപ്രില്‍ 2020
    bahut khoub