शीर्षक - मेघोत्सव ये श्याम धवल बादल के छल्ले, बंधे हुए हो ज्यों अम्बर के पल्ले,, झुक कर यूं छूते पर्वत की चोटी, जैसे करते हो श्रंगों से ठल्ले,, बिंदु बिंदु में भर के जीवन आभा, जैसे उलट रहे हो ...
👳सुनो...
भोर के
अलसाये नयनों में सूरज की लाली है
आज धरा ने
सावन की ओढ़ी चूनर धानी है
आज दिन है
शिव का आज प्यारे प्रथम सोमवारी
आज ही
संयोगवश सावन की पंचमी
हम कहते इसे नागपंचमी तीनो की जोड़ी बारी निराली
आकाश
आलिंगन हुआ,
धरती का आँचल लहराया हो आया
सावन आया सोमवारी आई नाग पंचमी एक साथ ही..
🤗 आप को सावन की
पहली सोमवारी नागपंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएं🤗
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