बचपन का वो खेल सुहाना, रिमझिम वर्षा में भीग जाना, फिर कागज़ की नाव तैराना, गुड्डे-गुडि़या का व्याह रचाना, बाराती भी खुद बन जाना, कभी रूठकर मान जाना, पत्तों से मीठी -बर्फी बनाना, कागज़ के रूपये बनाना ...
आज जो कुछ भी है सब माँ -पिताजी का ही आशीर्वाद है,फिर जो खुशियाँ मिली वासु भैया का विशेष आभार और दीदी की शुभाशीष व स्नेह है🌹👏🏻👏🏻….....................
.........… बहुत ही मार्मिक लगी,,मेरी माता जी ने भी गोमाता की बहुत सेवा की थी,,,,,,,,सच में हम सभी आज अपनी माता जी के उपकार के ऋणी हैं,,,,,,,गोमाता की सेवा जरूर करें |
सारांश
आज जो कुछ भी है सब माँ -पिताजी का ही आशीर्वाद है,फिर जो खुशियाँ मिली वासु भैया का विशेष आभार और दीदी की शुभाशीष व स्नेह है🌹👏🏻👏🏻….....................
.........… बहुत ही मार्मिक लगी,,मेरी माता जी ने भी गोमाता की बहुत सेवा की थी,,,,,,,,सच में हम सभी आज अपनी माता जी के उपकार के ऋणी हैं,,,,,,,गोमाता की सेवा जरूर करें |
रिपोर्ट की समस्या
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