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मीठा सपना

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बचपन का वो खेल सुहाना, रिमझिम वर्षा में भीग जाना, फिर कागज़ की नाव तैराना, गुड्डे-गुडि़या का व्याह रचाना, बाराती भी खुद बन जाना, कभी रूठकर मान जाना, पत्तों से मीठी -बर्फी बनाना, कागज़ के रूपये बनाना ...

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लेखक के बारे में
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Dr. Janki Lohani

आज जो कुछ भी है सब माँ -पिताजी का ही आशीर्वाद है,फिर जो खुशियाँ मिली वासु भैया का विशेष आभार और दीदी की शुभाशीष व स्नेह है🌹👏🏻👏🏻…..................... .........… बहुत ही मार्मिक लगी,,मेरी माता जी ने भी गोमाता की बहुत सेवा की थी,,,,,,,,सच में हम सभी आज अपनी माता जी के उपकार के ऋणी हैं,,,,,,,गोमाता की सेवा जरूर करें |

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Gopinath Krishna
    16 जनवरी 2021
    वाकई , बचपन का सपना बहुत मीठा होता है ।
  • author
    Ambika Jha
    16 जनवरी 2021
    बहुत ही शानदार रचना 🌟🌟🌹🌟🌟💐
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  • author
    Gopinath Krishna
    16 जनवरी 2021
    वाकई , बचपन का सपना बहुत मीठा होता है ।
  • author
    Ambika Jha
    16 जनवरी 2021
    बहुत ही शानदार रचना 🌟🌟🌹🌟🌟💐