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माया की नगरी

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अद्धभुत है ये माया की नगरी जाने कैसे समझूँ मैं, जितना समझूँ उतना ही उलझू मैं.. कभी ख़्याल हैं रिश्तों-की, कभी ख़्याल है अनजान आहटों की। जाने क्या रंग लाएगी, जीवन के संग-कितना साथ निभाएगी हो रहे है ...

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लेखक के बारे में
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Priyadarshini Arya

नमस्कार दोस्तों 🙏🙏🌹❤😊😊 मैं प्रियदर्शनी आर्या, मेरी प्रोफाइल प्रतिलिपि पर आप सभी का दिल से हार्दिक स्वागत है । आप सभी पढ़ने वालों के लिए ढेरों शुभकामनाएं व प्यार ❤❤😊😊 मेरे शब्द मेरे एहसास शब्दों की मनोरंजन भरी कहानी व उपन्यासों की दुनिया में आप सभी का फिर से ढ़ेरों स्वागत है। एहसास से बुनकर नई जीवन की शुरुआत लाई हूं। प्रेम दया मया से सजाकर कहानी की प्रोफाइल बनाई हूं।। जैसे प्रेम ऊंच-नीच भेद-भाव ना जाने और रंगता जाए खुद को प्यार के रंग में...! ठीक वैसे ही मेरे शब्दों की कहानी जीवन को जोड़ता जाए नये पन्नों पर एहसास के रंग में!! नफरत से प्यार तक, कठोर से नरम तक ,भाव से उजागर तक, शब्द से एहसास तक , आरंभ से अंत तक , भय से निर्भय तक, निर्मोह से  मोह तक, चाल से पर्दाफाश तक, भोर से शाम तक, जमीन से आसमान तक , माँ से नये  जीवन- चक्र तक ,  एहसास से स्पर्श तक, मोल से अनमोल तक.... और अनगिनत इन सभी शब्दों से जुड़ी कहानी आप सभी मेरे प्रोफाइल पर पढ़ सकते हैं...। तो... देर किस बात की है ,आप सभी मुझे फॉलो कीजिए और खूबसूरत एहसास भरी कहानियां को पढ़कर आनंद भाव का लुफ्त उठाइए 😊😊💐💐 दिल से नमन व शुक्रिया 🙏🙏 प्रियदर्शिनी आर्या जन्म कर्म स्थान- बिहार।।

समीक्षा
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  • author
    30 सितम्बर 2019
    ठग है ये माया नगरी
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