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मौत बाँटती रूह

4.3
8997

यह घटना आज से लगभग चालीस साल पुरानी है..जब एक भटकती रूह का कहर हमारे गाँव पर टूटा था.. एक ऐसी रूह जो मौत बाँटती थी.. वह कभी भी ..कहीं भी..किसी को भी अपना शिकार बना लेती थी..इतने साल बीत जाने के ...

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लेखक के बारे में

तेरे बिना हर शाम अधूरी।तुम मिल जाओ गर हर कमी हो पूरी

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    27 अक्टूबर 2018
    शानदार भाईसाहब राजस्थान हरयाणा में ऐसे किस्से आम है।😊
  • author
    Santosh Bastiya
    24 अक्टूबर 2018
    मस्त है। कृपया मेरी कहानी अंधेरों के साये भी अवश्य पढ़ें और सुझाव दें
  • author
    MAN MOHAN SINGH
    01 नवम्बर 2018
    aapki kahani sabse alag hatkar hoti hai sur hakikat lagti hai bilkul bahaut accha likhte ho aap thanks
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    27 अक्टूबर 2018
    शानदार भाईसाहब राजस्थान हरयाणा में ऐसे किस्से आम है।😊
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    Santosh Bastiya
    24 अक्टूबर 2018
    मस्त है। कृपया मेरी कहानी अंधेरों के साये भी अवश्य पढ़ें और सुझाव दें
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    MAN MOHAN SINGH
    01 नवम्बर 2018
    aapki kahani sabse alag hatkar hoti hai sur hakikat lagti hai bilkul bahaut accha likhte ho aap thanks