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मौन व्रत

4.8
57

मौन व्रत शारदा, सुनैना और कल्याणी तीनों ही ऐसी सहेलियां थी जोकी आपस में अगर एक दिन भी मिलकर अपनी मन की गांठे नहीं खोल लेती थी तब तक उनके पेट कब खाना और पानी हजम नहीं होता था हालांकि वे एक दूसरे ...

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लेखक के बारे में
author
Rashmi Sharma

पुराने कलपुर्जे तड़ाक! अरे मम्मी देखो दादी ने कब तोड़ दिया और चाय भी फर्श पर फैल गई I सुजाता के हाथ से चाय गिरते ही उसकी पोती ने जोर से मम्मी को पुकारा I क्या चलो एक और काम मेरे जिम्मे ,लाओ पोछा, कम से कम टेबल पर कप रखकर चाय पीनी चाहिए थी मैं आखिर घर की नौकरानी बनकर रह गई हूं, किस को समझ में आता है कि दिन भर काम करते - करते मैं भी थक जाती हूं, कब फुर्सत मिलेगी इस बोझिल जिंदगी से।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anand Sharma
    04 अक्टूबर 2020
    आपकी इस कहानी से कुछ सीख मिलती है जिसे ध्यान देने की जरूरत है।
  • author
    19 फ़रवरी 2021
    बहुत खूब सुपर से भी ऊपर
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    Anand Sharma
    04 अक्टूबर 2020
    आपकी इस कहानी से कुछ सीख मिलती है जिसे ध्यान देने की जरूरत है।
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    19 फ़रवरी 2021
    बहुत खूब सुपर से भी ऊपर