मौन व्रत शारदा, सुनैना और कल्याणी तीनों ही ऐसी सहेलियां थी जोकी आपस में अगर एक दिन भी मिलकर अपनी मन की गांठे नहीं खोल लेती थी तब तक उनके पेट कब खाना और पानी हजम नहीं होता था हालांकि वे एक दूसरे ...
पुराने कलपुर्जे
तड़ाक! अरे मम्मी देखो दादी ने कब तोड़ दिया और चाय भी फर्श पर फैल गई I सुजाता के हाथ से चाय गिरते ही उसकी पोती ने जोर से मम्मी को पुकारा I
क्या चलो एक और काम मेरे जिम्मे ,लाओ पोछा, कम से कम टेबल पर कप रखकर चाय पीनी चाहिए थी मैं आखिर घर की नौकरानी बनकर रह गई हूं, किस को समझ में आता है कि दिन भर काम करते - करते मैं भी थक जाती हूं, कब फुर्सत मिलेगी इस बोझिल जिंदगी से।
सारांश
पुराने कलपुर्जे
तड़ाक! अरे मम्मी देखो दादी ने कब तोड़ दिया और चाय भी फर्श पर फैल गई I सुजाता के हाथ से चाय गिरते ही उसकी पोती ने जोर से मम्मी को पुकारा I
क्या चलो एक और काम मेरे जिम्मे ,लाओ पोछा, कम से कम टेबल पर कप रखकर चाय पीनी चाहिए थी मैं आखिर घर की नौकरानी बनकर रह गई हूं, किस को समझ में आता है कि दिन भर काम करते - करते मैं भी थक जाती हूं, कब फुर्सत मिलेगी इस बोझिल जिंदगी से।
रिपोर्ट की समस्या
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