स्वागत! स्वागत, स्वाधीनता के उस देवदूत का, जो तीसरी बार, सरकारी जेल में ढाई वर्ष तक सड़ने के पश्चात, इस समय सकुशल हमारे बीच में है। मौलाना फजलुल हसन हसरत मोहानी ( महान कवि और स्वाधीनता सेनानी हसरत मोहानी के तीसरी जेलयात्रा से बाहर आने के बाद, विद्यार्थीजी द्वारा व्यक्त किये गये यह स्वागतोद्गार 18 अगस्त 1924 के साप्ताहिक 'प्रताप' से उद्धृत हैं) देश की उन पाक-हस्तियों में से एक हैं जिन्होंने देश की स्वाधीनता के लिए, कौमियत के भाव की तरक्की के लिए, अत्याचारों को मिटा देने के लिए, हर ...