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मत ढूंढो मुझको

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आज सुबह घर की बेल बजाई, तो श्रीमती ने पूंछा "कहाँ चले गए थे , मैं तुम्हे ढूंढ़ रही थी". अनायास ही मुँह से निकला तुम ढूंढ रही थी मुझको, मैं ढूंढ रहा था खुद को, मैं मिल न पाया तुमको, मैं मिल न पाया ...

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लेखक के बारे में
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विक्रम सिंह

ख्यालों का सफ़रनामा

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    12 मार्च 2021
    😃😃खुद को मिले ना मिले श्रीमति जी को तो मिल ही जाना, वरना अच्छा अच्छा खाना नहीं मिलेगा 😂
  • author
    Kanak Singh "Devsi"
    21 जुलाई 2021
    ओह तो खुद को भी नहीं मिले बहुत खूब 😅
  • author
    पूजा मणि
    12 मार्च 2021
    😀😀😀😀😀🙏🙏🙏
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    12 मार्च 2021
    😃😃खुद को मिले ना मिले श्रीमति जी को तो मिल ही जाना, वरना अच्छा अच्छा खाना नहीं मिलेगा 😂
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    Kanak Singh "Devsi"
    21 जुलाई 2021
    ओह तो खुद को भी नहीं मिले बहुत खूब 😅
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    पूजा मणि
    12 मार्च 2021
    😀😀😀😀😀🙏🙏🙏