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मरता है इंसान हर रोज

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मरता है इंसान हर रोज़, किसी गली, किसी चौक पर। न कोई अश्रु, न कोई शोक, बस भीड़ गुजरती है चुपचाप सिर झुकाकर। पर जब जाता है कोई बड़ा नाम, सारी दुनिया में मचता है कोहराम। अखबारों के पन्ने काले हो ...

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लेखक के बारे में
author
Soni Mishra

"कल्पनाओं की उंगलियां थामे, हकीकत के पन्नों पर चलती हूं मैं — मैं हर एहसास को शब्दों में पिरोना जानती है। मैं लिखती हूं प्यार की वो कहानियां जो दिल को छू जाएं, रिश्तों के वो रंग जो जीवन को नया मायना दें, थ्रिलर में छिपे रहस्य, और सामाजिक मुद्दों की गहराई। चाहे वो क्रूरता का सच हो या मासूम प्रेम की मधुरता, हर विषय मेरी कलम की ज़ुबान बन जाता है। मेरे साथ पढ़िए उन जज़्बातों को, जो आपके अपने लगेंगे। आपके सुझाव, आपका प्यार ही मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं। शब्दों की इस यात्रा में मेरे हमसफर बनिए…"

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    .
    07 जनवरी 2025
    बहुत गहरी रचना लिखी है आपने। 🌺🌺❤️❤️✍️✍️✍️✍️✍️
  • author
    Ashok Mishra
    08 जनवरी 2025
    अति सुन्दर भावाभिव्यकति
  • author
    07 जनवरी 2025
    well presentation
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    07 जनवरी 2025
    बहुत गहरी रचना लिखी है आपने। 🌺🌺❤️❤️✍️✍️✍️✍️✍️
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    Ashok Mishra
    08 जनवरी 2025
    अति सुन्दर भावाभिव्यकति
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    07 जनवरी 2025
    well presentation