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विवाह: एक नयी शुरुआत

4.5
252684

ठक! ठक! ठक ! दरवाजे पे जोर से खटखट करते हुवे देव को महसूस हुआ की रात के ग्यारह बज रहे हैं. सब सो गए होंगे. इसलिए उसने खटखट धीमे कर दी. बाहर पूरा भोपाल झमझमा रहा था. आज तो बड़े तालाब का मकबरा डूब ...

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लेखक के बारे में
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शशांक भारतीय

अपने और अपने आसपास के बीते हुवे पलों को कहानी और कविताओं का रूप देने की एक अदना कोशिश करता हूँ. अब तक के खुद को उपन्यास "dehaati ladke" में पूरा उतार दिया है. बाकी का मैं बन रहा हूँ...

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Suraj Singh Kalhans
    18 फ़रवरी 2017
    मानव जीवन की एक तल्ख सच्चाई है कि वह अपनी अपने अतीत को भूल कर एक नए जीवन की शुरुआत करे। मनुष्य का अतीत भी उसका अहम भाग है किंतु अतीत मे ही जीना बेवकूफी है। हमेशा नई चुनौतियों का सामना करना और परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को बदलना जीवन की खूबसूरती है। प्यार, निजी जीवन और सामाजिक दायित्व के बीच हमारी जिंदगी कितनी अंतः गुम्फित है इसको युवा कहानीकार "शशांक भारतीय" की कहानी "विवाह: एक नई शुरुआत" बखूबी उकेरती है ।कहानी के कुछ पक्ष अस्पष्ट रह गए हैं जिन्हें शायद लेखक ने जानबूझकर अस्पष्ट छोड़ दिया है या उन पर उनका ध्यान नहीं गया । किंतु एक युवा कहानीकार से इससे अधिक की अपेक्षा करना एक तरह से 'बौद्धिक तानाशाही' होगी.
  • author
    Sharmila Thakur
    27 फ़रवरी 2018
    kisi tarah to us patni ko apna pyaar ,apna pati mila or us pati ko b apni patni ki yaad tb aai jb uska apna pyar kisi or s shadi kr raha ho .....isse acha to y hota h ki aap us ldki s hi shadi krte .. jisse aapne pyar kiya...taaki aapki is patni ko itna time dur to ni rehna padta....chlo ...jo hua accha hua ...pr sbse accha tb hoga jb wo pati use sare haq d ,kunki patni kbhi paison ki ki mohtaaz ni hoti ...use chahiye hota h to sirf apne pati ka pyaar ....sirf pyaar
  • author
    27 मई 2018
    आपकी रचना पढने के बाद मन मे सुकून हैं। यथार्थपुर्ण चित्रण के साथ रचना और भी सुन्दर हो गयी हैं। आपने तो हमे 5 अंक देने के लिये विवश कर दिया है। बेहतरीन रचना के लिए बधाई।
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    Suraj Singh Kalhans
    18 फ़रवरी 2017
    मानव जीवन की एक तल्ख सच्चाई है कि वह अपनी अपने अतीत को भूल कर एक नए जीवन की शुरुआत करे। मनुष्य का अतीत भी उसका अहम भाग है किंतु अतीत मे ही जीना बेवकूफी है। हमेशा नई चुनौतियों का सामना करना और परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को बदलना जीवन की खूबसूरती है। प्यार, निजी जीवन और सामाजिक दायित्व के बीच हमारी जिंदगी कितनी अंतः गुम्फित है इसको युवा कहानीकार "शशांक भारतीय" की कहानी "विवाह: एक नई शुरुआत" बखूबी उकेरती है ।कहानी के कुछ पक्ष अस्पष्ट रह गए हैं जिन्हें शायद लेखक ने जानबूझकर अस्पष्ट छोड़ दिया है या उन पर उनका ध्यान नहीं गया । किंतु एक युवा कहानीकार से इससे अधिक की अपेक्षा करना एक तरह से 'बौद्धिक तानाशाही' होगी.
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    Sharmila Thakur
    27 फ़रवरी 2018
    kisi tarah to us patni ko apna pyaar ,apna pati mila or us pati ko b apni patni ki yaad tb aai jb uska apna pyar kisi or s shadi kr raha ho .....isse acha to y hota h ki aap us ldki s hi shadi krte .. jisse aapne pyar kiya...taaki aapki is patni ko itna time dur to ni rehna padta....chlo ...jo hua accha hua ...pr sbse accha tb hoga jb wo pati use sare haq d ,kunki patni kbhi paison ki ki mohtaaz ni hoti ...use chahiye hota h to sirf apne pati ka pyaar ....sirf pyaar
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    27 मई 2018
    आपकी रचना पढने के बाद मन मे सुकून हैं। यथार्थपुर्ण चित्रण के साथ रचना और भी सुन्दर हो गयी हैं। आपने तो हमे 5 अंक देने के लिये विवश कर दिया है। बेहतरीन रचना के लिए बधाई।