मृकण्डु पुत्र मार्कण्डेय मुनि तप, स्वाध्याय, धारणा, ध्यान और समाधि के द्वारा भगवान् में चित्त लगानेका प्रयत्न करते रहते थे। अब उन पर कृपाप्रसाद की वर्षा करने के लिए मुनि-नयन-मनोहारी नरोत्तम ...
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मार्कण्डेय २
SN Tiwari
जब मार्कण्डेय मुनि ने देखा कि भगवान्के साक्षाद् स्वरूप नर-नारायण ऋषि पधारे हैं, वे बड़े आदरभाव उठकर खड़े हो गये और धरती पर दण्डवत् लोटकर साष्टांग प्रणाम किया ॥ भगवान् के ...
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