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मारे गये गुलफाम उर्फ पहली कसम

3.7
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आज फिर पूर्णिमा का चाँद अपनी चांदनी के साथ अठखेलियाँ कर रहा है बिल्कुल उस दिन की ही तरह जब बिरजू की माँ नाँच देखने जा रही थी। गाड़ी गांव से बाहर हो कर धान के खेतों के बगल से जा रही है चाँदनी कातिक की ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Surekha Sharma
    22 फ़रवरी 2017
    बहुत खूब किरण जी मुबारक हो
  • author
    23 अक्टूबर 2017
    सही बात
  • author
    Pawan Mishra
    22 फ़रवरी 2017
    दूसरी कसम का इंतज़ार।
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    Surekha Sharma
    22 फ़रवरी 2017
    बहुत खूब किरण जी मुबारक हो
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    23 अक्टूबर 2017
    सही बात
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    Pawan Mishra
    22 फ़रवरी 2017
    दूसरी कसम का इंतज़ार।