मंजिल से आगे बढ़ कर मंजिल तलाश कर मिल जाये तुझको दरिया तो समन्दर तलाश कर, हर शीशा टूट जाता है पत्थर की चोट से पत्थर ही टूट जाये वो शीशा तलाश कर, सजदों से तेरे क्या हुआ सदियाँ गुजर गयीं दुनिया ...
मंजिल से आगे बढ़ कर मंजिल तलाश कर मिल जाये तुझको दरिया तो समन्दर तलाश कर, हर शीशा टूट जाता है पत्थर की चोट से पत्थर ही टूट जाये वो शीशा तलाश कर, सजदों से तेरे क्या हुआ सदियाँ गुजर गयीं दुनिया ...