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"मंजिल मिले ना मिले"

4.7
50

ना मिली छांव कहीं यहां यूं तो कई शजर मिले वीरान ही मिले सफर में जो भी शहर मिले। मंजिल मिले ना मिले मुझे कोई परवाह नहीं मुझे तलाश है मंजिल की मंजिल को खबर मिले। हर गुनाह इंसान के चेहरे पर  ...

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लेखक के बारे में
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Rama Soni
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dada Gk Mehra
    16 जून 2020
    बहुत ही शानदार रचना है बहुत-बहुत बधाई
  • author
    Ratnesh Soni
    17 जून 2020
    बहुत अच्छा लगा
  • author
    Prakash Verma
    11 जून 2020
    बहुत सुंदर रचना
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dada Gk Mehra
    16 जून 2020
    बहुत ही शानदार रचना है बहुत-बहुत बधाई
  • author
    Ratnesh Soni
    17 जून 2020
    बहुत अच्छा लगा
  • author
    Prakash Verma
    11 जून 2020
    बहुत सुंदर रचना