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मनुष्य का विकल्प

4.3
1228

एक कुम्हार था ़ गरीब और निर्बल ़ वह अपने गधे पर रोज मिट्टी लादकर लाता, मिट्टी को गलाता फिर चाक पर रखकर बड़ी होशियारी से उसे अलग-अलग आकार में ढालता ़ पकने पर बाजार बेच आता ़ एक दिन सृष्टि निर्माता ...

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लेखक के बारे में
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मलय जैन
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    23 जनवरी 2020
    बहुत ही सुन्दर प्रसंग ।
  • author
    Uma
    20 जून 2024
    👌🤣Interesting.
  • author
    Vipin Kaushik
    02 अक्टूबर 2018
    सरल और सारगर्भित
  • author
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    अरविन्द सिन्हा
    23 जनवरी 2020
    बहुत ही सुन्दर प्रसंग ।
  • author
    Uma
    20 जून 2024
    👌🤣Interesting.
  • author
    Vipin Kaushik
    02 अक्टूबर 2018
    सरल और सारगर्भित