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मंझली भाभी

4.6
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आज मनुआ को देखने और उसके परिवार से मिलने लड़की वाले पटना के मौर्या होटल में आने वाले थे ।मनुआ ने फ़ोन पर भइया और मंझली भाभी को तैयारी के लिए बोला था।इंजीनियरिंग करने के बाद मनु दिल्ली के बड़े कंपनी में एक साल से जॉब कर रहा था । इधर मंझली भाभी और भइया बड़े चिंता में थे क्योंकि भाभी के पास एक अच्छी सी साड़ी और भइया के पास अच्छा से कुर्ता तक न था। सात साल पहले मंझली भाभी छोटे घर से बेरोजगार मंझले भइया से व्याह कर आईं थीं।बड़े भइया को डॉक्टरी पढ़ाने में पिताजी की छोटी से जमा पूंजी भी ख़त्म हो गयी थी और ...

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लेखक के बारे में
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संजीव कुमार

कहानियाँ लिखना मेरा शौक है अगर मेरी कहानी पढकर आपकी आँखों में आँसू आ जाते हों और कुछ सीखने को मिलता हो तो मैं समझूंगा कि मेरा लिखना सफल हुआ मेरी हर कहानी में कोशिश यही रहती है कि ऐसी कहानी लिखूं जैसी ना आपने कभी पढी हो ना आपने कभी सुनी हो धन्यवाद

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vimal Singh Rajput
    17 डिसेंबर 2018
    बे रोक टोक सीधे दिल तक पहुंच गयी कहानी
  • author
    Vandana Rastogi
    18 सप्टेंबर 2018
    ।भारतीय गृहणी के त्याग का अनुपम उदाहरण ।देवर ने भी कर्तव्य निभाया।अति सुन्दर ।
  • author
    Abha Raizada
    14 सप्टेंबर 2018
    yahi hona chahiye par aksar aisa hota nahi.kahani se log shiksha le iss asha ke saath kahanikar ko abhinandan,🙏🙏🙏
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    Vimal Singh Rajput
    17 डिसेंबर 2018
    बे रोक टोक सीधे दिल तक पहुंच गयी कहानी
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    Vandana Rastogi
    18 सप्टेंबर 2018
    ।भारतीय गृहणी के त्याग का अनुपम उदाहरण ।देवर ने भी कर्तव्य निभाया।अति सुन्दर ।
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    Abha Raizada
    14 सप्टेंबर 2018
    yahi hona chahiye par aksar aisa hota nahi.kahani se log shiksha le iss asha ke saath kahanikar ko abhinandan,🙏🙏🙏