मुझे तेरे संग बनारस घाट देखना है, मणिकर्णिका से लेकर काशी विश्वनाथ देखना है। तेरे पहलू में ना रह सकूं कोई गम नहीं, मगर जिन्दगी का हर रंग तेरे साथ देखना है।। उत्तर भारत से लेकर दक्कन तक, मुझे सृजन से ...
नमस्कार। आपकी रचना पढ़के बहुत अच्छा लगा। ये सत्य मे एक बहुत अच्छा लेखन है। ओर लिखते रहिए।
मै भी प्रतिलिपि हिंदी में लिखता हूं। मुझे प्रतिलिपि में अनुसरण करते हुए साथ जुड़े रहने का आपसे आन्तरिक अनुरोध रहा।
धन्यवाद सहित शुभकामनाएं।
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