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मंगला मुखी या किन्नर

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जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत किन्नर -जीवन दुख तकलीफ से परिपूर्ण होता है दर-दर की ठोकरें यातनाएं और गालियां उनके मन को अंदर तक छलनी कर जाती है वह मन मसोसकर रह जाते हैं उन्हीं की व्यथा बताती मेरी एक ...

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लेखक के बारे में
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AnshuPriya Agrawal

मैं अंशु प्रिया रांची झारखंड में जन्मी पली-बढ़ी हूं। शैक्षणिक योग्यता बीएससी केमिस्ट्री है। फिर मैंने फाइनेंस में एमबीए की है। पीएनबी मुंबई में मैनेजर पद में कार्यरत रही। फिर नौकरी छोड़कर पति के साथ मस्कट ओमान चली आई। यहां आने से पहले साहित्य देवी की उपासना लगभग हर रोज किया करती थी। रांची की हर लोकल न्यूज़पेपर मैगज़ीन बैंकिंग के प्रतिष्ठित जनरल , आरबीआई की बैंकिंग चिंतन अनु चिंतन में भी काफी लेख प्रकाशित हुए प्रतियोगिताएं भी जीती। पर मस्कट के सात सालों के सफर में साहित्य से कोसों दूर चली आई। अब सौभाग्य वश नए वर्ष 1 जनवरी 2020 में प्रतिलिपि से जुड़ी। वापस मन मयूरा तरंगों की भावनाओं से नृत्य करने को आतुर है। आपकी समीक्षाएं आपकी प्रेरणा आपका प्यार मिलता रहे बस यही आशा है । मुझे हिंदी और इंग्लिश दोनों में कविता लिखना अच्छा लगता है।आप हमारी कमियों को बताते रहें और हम उनको सुधार कर अपनी प्रतिभा को निखारने का सतत प्रयास करते रहेंगे यही आशा के साथ । मुझे गणित का भी बहुत शौक है, एक व्हाट्सएप ग्रुप है जिसमें बच्चे देश विदेश के बच्चे मुझे मैथ्स टीचर के नाम से जानते हैं मुझसे सवाल पूछते हैं और मैं यथासंभव उनको समझाने की कोशिश करती हूं। यहां मस्कट में भी 9,10,11,12 के बच्चों को पढ़ाती हूं मां सरस्वती के साथ साथ वैसे मां लक्ष्मी की भी आराधना हो जाती है। https://youtu.be/vucp1_cMBso https://youtu.be/NPpJtgGwzhA https://youtu.be/0gILTBDP1lc https://www.facebook.com/groups/153629885062422/?ref=share हमारा यह प्रतिलिपि परिवार बहुत ही आत्मीयता एवं वात्सल्य के भाव से जुड़ा है। जिन मांओ को गणित में ,गणित के ओलंपियाड परीक्षाओं में में कुछ भी समझ ना आता हो, कुछ मदद चाहिए मुझसे संपर्क कर सकते हैं, मेरे पास पीडीएफ की बहुत सारी मैथस की किताबें भी है, जो निशुल्क भेजा जा सकता है ताकि बच्चे उनका लाभ उठा सकें। मां सरस्वती की अनुकंपा हम पर ऐसे ही बरसते रहे और हम अपनी साधना सतत करते रहे। हमारे प्रतिलिपि परिवार के सभी कुटुंबियो को प्यार भरा नमस्कार। In short जीवन और साहित्यिक परिचय नाम -अंशु प्रिया अग्रवाल पति का नाम- पंकज अग्रवाल शिक्षा -रसायन शास्त्र से स्नातक प्रथम श्रेणी           वित्त में एमबीए प्रथम श्रेणी कार्य अनुभव -पंजाब नेशनल बैंक मुंबई में प्रबंधक के तौर पर कार्यरत पति के विदेश आगमन की वजह से नौकरी से इस्तीफा वर्तमान पता - कुरूम मस्कट ओमान स्थाई पता -इंद्रपुरी रोड नंबर 3 रातू रोड रांची सम्मान- अंतरराष्ट्रीय मुशायरा और कवि सम्मेलन में 3 महीनों से लॉकडाउन में लगातार भागीदारी वैदिक गणित के लिए भारतीय दूतावास से पुरस्कृत भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा अनेक बार पुरस्कृत पंजाब नेशनल बैंक के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कार्यालयों में बहुत बार निबंध और कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त अंतर बैंक प्रतियोगिता में भी बहुत सारी प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय स्थान प्राप्त वर्तमान में राष्ट्रीय मंचों में दैनिक, साप्ताहिक प्रतियोगिता में 100 से भी ज्यादा सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार   प्रकाशन- भारतीय रिजर्व बैंक के बैंकिंग चिंतन अनुचिंतन पत्रिका में अनेक रचनाएँ प्रकाशित मानदेय प्राप्त पंजाब नेशनल बैंक के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राष्ट्रभाषा पत्रिकाओं में अनेक रचनाएँ प्रकाशित देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग हर दिन रचनाएँ प्रकाशित होती है।

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    17 जनवरी 2020
    हमेशा से इन लोगों के प्रति करुणा का भाव मेरे अंदर महसूसती रही हूँ मैं। इस कारण भी आपकी यह रचना मेरे लिए बिशेष है।चाहे कोई इनको मुख्य धारा का अंग ना स्वीकार करे या साहित्य में स्थान ना मिले परन्तु आपकी इस अतुल्य रचना को पढ कर मेरे दिल मे तो बहुत ऊँचा स्थान मिल ही गया है। मंगलमुखियों कि साथ -साथ प्रिय अंशु की कलम को भी नमन🙏 निश्चित ही सार्थक लेखन👍👍👍👍 शिप्रा की भावना को नमन🙏
  • author
    Ankit kumar Agrawal
    17 जनवरी 2020
    बहुत ही सुंदर लेखनी है यह आपकी। किन्नर भी हमारी तरह ही समाज के एक अभिन्न अंग है। आपने इस कहानी के तहत लोगों के लिए एक बहुत ही अच्छी शिक्षा दी है कि ईश्वर सभी को किसी ना किसी विशेष कर्म के लिए इस पृथ्वी पर जन्म देता है, परंतु हम हैं कि उनके गुणों की तरफ ध्यान न देकर, उनके अंदर कमियों को ढूंढते रहते हैं। और लोगों को जो उनके जैसा नहीं दिखता, या उनके गुण आम लोगों की तरह ही नहीं होते, लोग उनका उपहास उड़ाते हैं और उन्हें भिन्न समझते हैं। परंतु हमें यह भी समझना चाहिए कि वह लोग भी हमारी तरह ही एक मनुष्य हैं और उनका भी हृदय होता है। वह भी समाज में सम्मान पाने के योग्य हैं, और जब समाज में हम ईश्वर के सभी विभिन्न रचनाओं के साथ तालमेल बनाकर चलेंगे, तो हमारा समाज सर्वस्व व सर्वथा उत्थान की ओर ही बढ़ेगा।
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    17 जनवरी 2020
    दीदी, ऐसी रचना और आज आपने उन लोहों को पिरोया है जिन्हें ये समाज अक्सर ठुकराता आया है,इनको कभी अपनाया नही गया। दीदी आज आपने इस लेखनी से बहुत से लोगों को बतलाया है किन्नर भी हमारे समाज में एक अहम भूमिका निभाते हैं । दीदी आप महान हो ऐसा लगता है कि आपने ये सब खुद देखा और फिर लिख दिया । आपके शब्द स्वर्णिम हैं तथा आज फिर एक बार आपने मुझे प्रेरित किया आपकी ये रचना ज्ञानवर्धक भी है दीदी। आपके लिए बहुत बहुत प्यार दीदी माँ विमला की सबसे प्यारी तनया हो आप दीदी। 🙏🙏😀
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    17 जनवरी 2020
    हमेशा से इन लोगों के प्रति करुणा का भाव मेरे अंदर महसूसती रही हूँ मैं। इस कारण भी आपकी यह रचना मेरे लिए बिशेष है।चाहे कोई इनको मुख्य धारा का अंग ना स्वीकार करे या साहित्य में स्थान ना मिले परन्तु आपकी इस अतुल्य रचना को पढ कर मेरे दिल मे तो बहुत ऊँचा स्थान मिल ही गया है। मंगलमुखियों कि साथ -साथ प्रिय अंशु की कलम को भी नमन🙏 निश्चित ही सार्थक लेखन👍👍👍👍 शिप्रा की भावना को नमन🙏
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    Ankit kumar Agrawal
    17 जनवरी 2020
    बहुत ही सुंदर लेखनी है यह आपकी। किन्नर भी हमारी तरह ही समाज के एक अभिन्न अंग है। आपने इस कहानी के तहत लोगों के लिए एक बहुत ही अच्छी शिक्षा दी है कि ईश्वर सभी को किसी ना किसी विशेष कर्म के लिए इस पृथ्वी पर जन्म देता है, परंतु हम हैं कि उनके गुणों की तरफ ध्यान न देकर, उनके अंदर कमियों को ढूंढते रहते हैं। और लोगों को जो उनके जैसा नहीं दिखता, या उनके गुण आम लोगों की तरह ही नहीं होते, लोग उनका उपहास उड़ाते हैं और उन्हें भिन्न समझते हैं। परंतु हमें यह भी समझना चाहिए कि वह लोग भी हमारी तरह ही एक मनुष्य हैं और उनका भी हृदय होता है। वह भी समाज में सम्मान पाने के योग्य हैं, और जब समाज में हम ईश्वर के सभी विभिन्न रचनाओं के साथ तालमेल बनाकर चलेंगे, तो हमारा समाज सर्वस्व व सर्वथा उत्थान की ओर ही बढ़ेगा।
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    17 जनवरी 2020
    दीदी, ऐसी रचना और आज आपने उन लोहों को पिरोया है जिन्हें ये समाज अक्सर ठुकराता आया है,इनको कभी अपनाया नही गया। दीदी आज आपने इस लेखनी से बहुत से लोगों को बतलाया है किन्नर भी हमारे समाज में एक अहम भूमिका निभाते हैं । दीदी आप महान हो ऐसा लगता है कि आपने ये सब खुद देखा और फिर लिख दिया । आपके शब्द स्वर्णिम हैं तथा आज फिर एक बार आपने मुझे प्रेरित किया आपकी ये रचना ज्ञानवर्धक भी है दीदी। आपके लिए बहुत बहुत प्यार दीदी माँ विमला की सबसे प्यारी तनया हो आप दीदी। 🙏🙏😀