हर रोज़ की तरह आज भी बडबडाते हुऐ पंकज घर से बाहर आ गया और हर रोज़ की तरह आज भी पूजा घर के भीतर बस यही सोचती रह गयी कि तन-मन से स्वंय को अर्पण कर के भी उसे क्या मिला पंकज से? कटाक्ष "मैनेजर साहिबा", ...
सच्चाई को छूती हुई काल्पनिक कहानियां लिखकर अपने पाठकों का मनोरंजन करने के अतिरिक्त समाज में बदलाव लाने की एक छोटी सी कोशिश
सच्चाई को छूती हुई काल्पनिक कहानियां लिखकर अपने पाठकों का मनोरंजन करने के अतिरिक्त समाज में बदलाव लाने की एक छोटी सी कोशिश
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या