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मां पढ़ती है

4.5
15454

कई महीनों बाद गांव आया हूं। मां वहां अकेली रहती है। आज घर का दरवाजा खुला है। वरना ऐन तड़के दरवाजा ओट कर मां बाहर का काम निपटाने चली जाती है। सुबह का सारा वक्त गोशाला में बीतता है। पशुओं को घास-पत्ती देते। गाय दूहतेे। गोबर फैंकते। इस समय भी मां भीतर नहीं हैं। मैं उनके कमरे में चला आया हूं। सूरज निकलते ही पहली किरन उनके कमरे में पड़ती है। आज किरनों के साथ मैं हूं। कमरा जितना अपना लगता है उतना ही अकेला भी है। तरह-तरह की चीजों से भरा हुआ। उसी तरह जैसे उजास भीतर भर जाया करता है। ऊपर लकड़ी की छत में ...

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लेखक के बारे में
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एस आर हरनोट

संक्षिप्त परिचय एस0 आर0 हरनोट नाम एस.आर.हरनोट जन्म हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की तहसील सुन्नी में स्थित पिछड़ी पंचायत व गांव चनावग में 22 जनवरी, में 22 जनवरी, 1955 के दिन। शिक्षा बी.ए (आॅनर्ज), एम.ए (हिन्दी), पत्रकारिता, लोक सम्पर्क एवं प्रचार-प्रसार में उपाधि पत्र। प्रकाशित पुस्तकें क्रमांक पुस्तक का नाम विधा एवं विषय प्रकाशक संस्करण 1 पंजा कहानी संग्रह ललित प्रकाशन, दिल्ली। 1987 2 आकाशबेल कहानी संग्रह ललित प्रकाशन, दिल्ली। 1987 3 हिमाचल के मंदिर और उन से जुड़ी लोक कथाएं लगभग 250 मन्दिरों पर शोध कार्य व लोक कथाएं। मिनर्वा बुक हाउस, शिमला। 1991 4 पीठ पर पहाड़ कहानी संग्रह। साहित्य संगम, इलाहाबाद। 1992 5 यात्रा किन्नौर, स्पिति, लाहुल और मणिमहेश पर सांस्कृति एवं ऐतिहासिक यात्राएं। मिनर्वा बुक हाउस, शिमला। 1994 6 हिमाचल एट ए ग्लांस (संयुक्त कार्य) हिमाचल प्रदेश पर 3000 फैक्टस। संयुक्त कार्य। मिनर्वा बुक हाउस, शिमला। 2000 7 दारोश तथा अन्य कहानियां कहानी संग्रह आधार प्रकाशन, पंचकूला, हरियाणा। 2001 8 हिमाचल से जान-पहचान इतिहास अभिषेक पब्लिकेशन, चण्डीगढ़ 1996 8 हिडिम्ब उपन्यास आधार प्रकाशन, पंचकूला। 2004 10 माफिया श्रीमती सरोज वशिष्ट द्वारा अंग्रेजी में अनुदित 14 कहानियों का संग्रह सनबन पब्लिशर्ज, दिल्ली। 2004 11 जीनकाठी तथा अन्य कहानियां कहानी संग्रह आधार प्रकाशन, पंचकूला, हरियाणा। 2008 12 मिट्टी के लोग कहानी संग्रह आधार प्रकाशन पंचकूला 2010 13 आधार चयन कहानियां कहानी संग्रह आधार प्रकाशन पंचकूला 2012 14 लिटन ब्लाॅक गिर रहा है कहानी संग्रह आधार प्रकाशन 2014 सम्मान एवं पुरस्कार 1 ‘दारोश तथा अन्य कहानियां’ पुस्तक के लिए वर्ष 2003 का अन्तरराष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान (लंदन में सम्मानित) तथा 2007 में हिमाचल राज्य अकादमी पुरस्कार। 2 ‘जीनकाठी तथा अन्य कहानिया‘ं संग्रह के लिए वर्ष 2009 का पाखी तथा इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव सोसाइटी द्वारा ’जे.सी जोशी शब्द साधक जनप्रिय लेखक सम्मान। 3 ‘मिट्टी के लोग‘ कहानी संग्रह के लिए वर्ष 2012 का प्रथम जगदीशचन्द्र स्मृति सम्मान। 4 पर्यटन और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु हिमाचल पर्यटन विकास निगम द्वारा ‘पर्यटन एवं साहित्य सम्मान-2009 5 क्र्रिएटिव न्यूज फाउण्डेशन, दिल्ली द्वारा विशिष्ठ साहित्यकार सम्मान। 6 अखिल भारतीय भारतेन्दु हरिश्चन्द्र एवार्ड। 7 हिमाचल केसरी एवार्ड। 8 हिमाचल प्रदेश राजकीय अध्यापक संघ, हमीरपुर द्वारा साहित्यकार सम्मान। 9 प्राचीन कला केन्द्र चण्डीगढ़ द्वारा श्रेष्ठ साहित्य सम्मान। 10 मालवा रंगमंच समिति और कृतिका काप्यूनिकेशन मुम्बई द्वारा 2010 का ’हिन्दी सेवा सम्मान रल विश्वविद्या हिन्दी, अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं की कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों/संकलनो में कहानियां तथा आलोचकों के आलेख विषय/कहानी पुस्तक का नाम संपादन व प्रकाशन 1 हिडिम्ब उपन्यास पर शोध लेख समय समाज और उपन्यास प्रो0 मधुरेश, ज्ञानपीठ से प्रकाशित 2 हिडिम्ब पर शोध लेख उपन्यास की महान परम्परा डाॅ0 खगेन्द्र ठाकुर, स्वराज प्रकाशन 3 बिल्लियां बतियाती है कथा में पहाड़ श्रीनिवास श्रीकान्त-संवाद प्रकाशन 4 बिल्लियां बतियाती है श्रेष्ठ हिन्दी कहानियां 1990-2000 उमाशंकर चैथरी, ज्योति चावला, पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस प्रा0लि0 5 मुट्ठी में गांव कथा में गांव सुभाषचंद्र कुशवाहा-संवाद प्रकाशन 6 एम.डाॅट.काॅम हिन्दी की क्लासिक कहानियां पुष्पपाल सिंह-हार्परकाॅलिंस पब्लिशर्ज इंडिया 7 सवर्ण देवता दलित देवता कथा दशक सूरज प्रकाश-मेधा बुक्स 8 दारोश 1997 की श्रेष्ठ हिन्दी कहानियां महीप सिंह-हिन्दी बुक सैन्टर, दिल्ली 9 सवर्ण देवता दलित देवता जातिदंश की कहानियां सुभाषचंद्र कुशवाहा -सामायिक प्रकाशन 10 कागभाखा हिमाचल-हिन्दी कहानी के सौ वर्ष सुशील कुमार फुल्ल-हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी। 11 छब्बीसवां निशान हिमाचल की प्रतिनिधि कहानियां राजेन्द्र राजन-भावना प्रकाशन 13 मुट्ठी में गांव हिन्दी की श्रेष्ठ दलित कहानियां आर.एच.बणकर-रचना प्रकाशन 14 रिसती हुई बर्फ सैनिक कहानियां हरेन्द्र सिंह भदौरिया- विकास पब्लिशिंग हाउस 15 जंग जारी है कुंआरी बहु सरोज वशिष्ठ-हिन्द पाकेट बुक्स 16 लाल होता दरख्त दस्तक श्रीनिवास जोशी-अनुराग प्रकाशन 17 डं त्मंके मां पढ़ती है ळतमल ।तमंे - ।द ।दजीवसवहल व िप्दकपंद थ्पबजपवद वद ।हमपदह प्तं त्ंरं.व्गवितक न्दपअमतेपजल च्तमेे 18 डण्क्वजण्ब्वउ एम.डाॅट.काॅम ळतमंज भ्पदकप ेीवतज ैजवतपमे त्ंअप दंदकंद ैपदीं दृ ।दनइीनजप थ्वनदकंजपवद डपेेपवदए छमू क्मसीप 19 ज्ीम त्मकमददपदह ज्तमम लाल होता दरख्त ैीवतज ैजवतपमे व िभ्पउंबींस च्तंकमेी - स्पमि न्दविसकमक ;व्गवितकद्ध डममदंोीप थ्ण् च्ंनस. प्दकने च्नइसपेीपदह ब्वउचंदल - व्गवितक न्दपअमतेपजल च्तमेे 20 कहानियों का जिक्र हिन्दी साहित्य का इतिहास डाॅ0 सुशील कुमार फुल्ल-भूपति प्रकाशन दिल्ली 21 पंजा कहानी संग्रह हिन्दी कहानी स्थिति एवं गति डाॅ0 हेमराज कौशिक-विभूति प्रकाशन दिल्ली 22 दारोश कहानी संग्रह कथालोचन के नये प्रतिमान गौतम सान्याल-नई किताब दिल्ली 23 शुरूआत समय गवाह है डाॅ0 सुभाष रस्तोगी-प्रतिमान प्रकाशन 24 हिडिम्ब और दारोश का जिक्र हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास.2006 डाॅ0 बच्चन सिंह-राधाकृष्ण प्रकाशन 25 सदी के अंत में हिमाचल की हिन्दी कहानी कहानी के नये प्रतिमान कुमार कृष्ण-वाणी प्रकाशन 26 दारोश खूबसूरत शहर और चीखें सैली बलजीत-अरूण प्रकाशन नई दिल्ली 27 किन्नर हिमाचल की लोकधर्मी हिन्दी कहानियां महिन्द्रा पब्लिशिंग हाउस चण्डीगढ़ लघु फिल्म कहानी ’दारोश’ पर दिल्ली दूरदर्शन द्वारा ’इंडियन क्लासिक्स सीरीज के तहत्’ फिल्म का निर्माण। व प्रसारण। नाट्य मंचन ऽ कहानी ‘बेजुबान दोस्त‘ का प्रख्यात अभिनेता अनुपम खेर की मुम्बई स्थित संस्था ‘एक्टर प्रिपेयरज‘ द्वारा वर्ष 2013 में शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में दो बार मंचन! ऽ कहानी ‘बिल्लियां बतियाती है‘ का शिमला स्थित ‘अब थियेटर ग्रुप‘ द्वारा गेयटी थियेटर सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में कई मंचन। ऽ शिमला के ‘समन्वय थियेटर‘ द्वारा कहानी ‘शुरूआत‘ के कई मंचन।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    kaleemuddin farooqui
    14 जुलाई 2020
    padh kar man sunn ho gaya kya rating di vo bhi samaj nahi aa raha tha lekin ungli sidhe panchve star par chali gae maa chahe kaisi bhi ho uske pass ja kar man ko jo shanti milti hai vo aur kahi nahi mil sakti maa ko hum apni jindagi me shamil karna chaho ya Na chaho vo hame apne aap se kabhi alag nahi kar sakti maa tujhe salam
  • author
    Uma Pandey
    28 अगस्त 2020
    पढ़ लिख कर, आधुनिक बन कर आदमी वास्तविकता से कितनी दूर निकल जाता है, उसके पैर धरातल पर नहीं रह पाते।कितना दुखद है यह सब।किन्तु जब इसका अहसास होता है तो पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ शेष नहीं बचता।
  • author
    Poonam Sharma
    22 सितम्बर 2020
    अंततः लेखक को मां की महानता समझ आ ही गई ,अंत बेहद खूबसूरत है । और कोई अंत हो ही नहीं सकता था ।
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    kaleemuddin farooqui
    14 जुलाई 2020
    padh kar man sunn ho gaya kya rating di vo bhi samaj nahi aa raha tha lekin ungli sidhe panchve star par chali gae maa chahe kaisi bhi ho uske pass ja kar man ko jo shanti milti hai vo aur kahi nahi mil sakti maa ko hum apni jindagi me shamil karna chaho ya Na chaho vo hame apne aap se kabhi alag nahi kar sakti maa tujhe salam
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    Uma Pandey
    28 अगस्त 2020
    पढ़ लिख कर, आधुनिक बन कर आदमी वास्तविकता से कितनी दूर निकल जाता है, उसके पैर धरातल पर नहीं रह पाते।कितना दुखद है यह सब।किन्तु जब इसका अहसास होता है तो पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ शेष नहीं बचता।
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    Poonam Sharma
    22 सितम्बर 2020
    अंततः लेखक को मां की महानता समझ आ ही गई ,अंत बेहद खूबसूरत है । और कोई अंत हो ही नहीं सकता था ।