pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

मन खोजने, इश्तहार दिया !!(डॉ.आराधना नीखरा)

5
29

मैंने अखबार में इश्तहार छपवा दिया सब आने जाने वाली जगह पता किया जगह-जगह तलाश किया आखिर अंत में हताश हुआ मेरा गुमशुदा मन आखिर कहीं ना मिला!! फिर, पता चला... एक आभूषण की दुकान पर , बैठा था ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Dr.Aradhana Neekhara
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    27 दिसम्बर 2023
    मस्त मौला घुम्मकड़ मन की बात ही निराली है, जो मन मंदिर में रम गया धन्य का अधिकारी है। बहुत ही सुंदर कल्पनाशीलता।
  • author
    Preetima Bhadouria
    27 दिसम्बर 2023
    वाह! खूबसूरत इश्तहार....अद्भुत परिकल्पना की है आपने, मन की चंचल गति की सुंदर और सटीक विवेचना की गई आपकी रचना में। काश! ये मन आपकी रचना के कहे अनुसार प्रभु की ओर उन्मुख हो अपनी सांसारिक भूमिका का निर्वहन करे। बेहतरीन और अनुकरणीय संदेश देती श्रेष्ठ रचना।
  • author
    mohan lal
    27 दिसम्बर 2023
    बहुत ही शानदार सृजन किया है आपने मेरी रचना भी पड़े और समीक्षा भी प्रदान करें धन्यवाद जी 🙏🏻🌹🙏🏻🌹🌹🌷✍🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🌹🌹🌷✍🏻🌹🙏🏻🙏🏻
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    27 दिसम्बर 2023
    मस्त मौला घुम्मकड़ मन की बात ही निराली है, जो मन मंदिर में रम गया धन्य का अधिकारी है। बहुत ही सुंदर कल्पनाशीलता।
  • author
    Preetima Bhadouria
    27 दिसम्बर 2023
    वाह! खूबसूरत इश्तहार....अद्भुत परिकल्पना की है आपने, मन की चंचल गति की सुंदर और सटीक विवेचना की गई आपकी रचना में। काश! ये मन आपकी रचना के कहे अनुसार प्रभु की ओर उन्मुख हो अपनी सांसारिक भूमिका का निर्वहन करे। बेहतरीन और अनुकरणीय संदेश देती श्रेष्ठ रचना।
  • author
    mohan lal
    27 दिसम्बर 2023
    बहुत ही शानदार सृजन किया है आपने मेरी रचना भी पड़े और समीक्षा भी प्रदान करें धन्यवाद जी 🙏🏻🌹🙏🏻🌹🌹🌷✍🏻🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🌹🌹🌷✍🏻🌹🙏🏻🙏🏻