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मन के तार

3.5
3328

बारिश की बूंदो ने आज मन के तार छेङे है आ जाओ साजन मेरे हम तो यहाँ अकेले है सावन के मौसम में बादल छाये घनेरे है आ जाओ साजन मेरे हम तो यहाँ अकेले है मदमस्त करती हवायें ये महकाती फिजाऐं ये धङकन बढाके दिल की सपने दिखाती तेरे है आ जाओं साजन मेरे हम तो यहाँ अकेले है बहुत हो चुका अब यूं रहना बैरी सावन का क्या कहना कांपती सी इस रुहं की तङपन दिल को घेरे है आ जाओ साजन मेरे हम तो यहाँ अकेले है । ...

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लेखक के बारे में
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एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित सांझा काव्य संग्रह - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने(2014) [email protected]

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sumana Mahato
    28 জানুয়ারী 2022
    बहत सुंदर
  • author
    Navya Agrawal "PD"
    29 মে 2020
    wow😍
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    Sumana Mahato
    28 জানুয়ারী 2022
    बहत सुंदर
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    Navya Agrawal "PD"
    29 মে 2020
    wow😍