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मन के तार

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3.5

बारिश की बूंदो ने आज मन के तार छेङे है आ जाओ साजन मेरे हम तो यहाँ अकेले है सावन के मौसम में बादल छाये घनेरे है आ जाओ साजन मेरे हम तो यहाँ अकेले है मदमस्त करती हवायें ये महकाती फिजाऐं ये धङकन बढाके ...