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मन के हारे हार, मन के जीते जीत।

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हिरण के शरीर के अंदर ही उपस्थित कस्तूरी की सुगंध उसे पागल की रहती है किंतु वह उसे दरबदर घूमकर खोजता रहता है किंतु उसे खोज नहीं पाता है फिर भी वह मन से हार नहीं मानता, और जीत की आशा संजोये हुए ...

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राया
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